जैन धर्म: भारत की अहिंसा पर आधारित प्राचीन आध्यात्मिक परंपरा

जैन धर्म के मूल सिद्धांत - अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य
विषय सूची
जैन धर्म का परिचय
मूल अवधारणाएँ
- 'जैन' शब्द 'जिन' से निकला है, जिसका अर्थ है 'इंद्रियों को जीतने वाला'
- जैन धर्म के संस्थापकों को तीर्थंकर कहा जाता है
- जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए हैं
- 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ और 24वें महावीर स्वामी ऐतिहासिक व्यक्तित्व
प्रतीक चिन्ह
- ऋषभदेव: वृषभ (सांड)
- पार्श्वनाथ: सर्प
- महावीर स्वामी: सिंह
पंच महाव्रत
- अहिंसा
- सत्य
- अस्तेय (चोरी न करना)
- अपरिग्रह (संचय न करना)
- ब्रह्मचर्य
24 तीर्थंकरों की सूची
प्रथम 8 तीर्थंकर
- ऋषभदेव (आदिनाथ)
- अजितनाथ
- सम्भवनाथ
- अभिनन्दननाथ
- सुमतिनाथ
- पद्मप्रभ
- सुपार्श्वनाथ
- चन्द्रप्रभ
मध्य 8 तीर्थंकर
- पुष्पदन्त (सुविधिनाथ)
- शीतलनाथ
- श्रेयांसनाथ
- वासुपूज्य
- विमलनाथ
- अनन्तनाथ
- धर्मनाथ
- शान्तिनाथ
अंतिम 8 तीर्थंकर
- कुण्ठुनाथ
- अरनाथ
- मल्लिनाथ
- मुनिसुव्रतनाथ
- नमिनाथ
- नेमिनाथ
- पार्श्वनाथ
- वर्धमान महावीर स्वामी
महत्वपूर्ण तीर्थंकर
ऋषभदेव (प्रथम तीर्थंकर)
- जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर
- अयोध्या में जन्म
- प्रतीक चिन्ह: वृषभ (सांड)
- वेदों और पुराणों में उल्लेखित
पार्श्वनाथ (23वें तीर्थंकर)
- ईसा पूर्व 8वीं शताब्दी में वाराणसी में जन्म
- चार मूल व्रतों (चातुर्याम) का प्रतिपादन
- प्रतीक: सर्प
महावीर स्वामी (24वें तीर्थंकर)
- जन्म: 540 ईसा पूर्व, वैशाली के कुंडग्राम
- 42 वर्ष की आयु में कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति
- मृत्यु: 468 ईसा पूर्व, पावापुरी में
जैन धर्म के मूल सिद्धांत
त्रिरत्न सिद्धांत
मोक्ष प्राप्ति के तीन साधन
- सम्यक दर्शन: जैन तीर्थंकरों में दृढ़ विश्वास
- सम्यक ज्ञान: जैन सिद्धांतों का सही ज्ञान
- सम्यक चरित्र: ज्ञान को व्यवहार में लाना
स्यादवाद (अनेकांतवाद)
- ज्ञान की सापेक्षता का सिद्धांत
- किसी भी तथ्य को सात दृष्टिकोणों से देखना
- "स्यात" (शायद) शब्द का प्रयोग
जैन संगीतियाँ
संगीति | काल | स्थान | अध्यक्ष | परिणाम |
---|---|---|---|---|
प्रथम जैन संगीति | 300 ईसा पूर्व | पाटलिपुत्र | स्थूलभद्र | 14 पूर्वों का स्थान 12 अंगों ने लिया |
द्वितीय जैन संगीति | 512 ईस्वी | वल्लभी (गुजरात) | देवर्धि क्षमाश्रमण | जैन ग्रंथों का अंतिम संकलन |
जैन साहित्य
प्रमुख जैन ग्रंथ
- आगम: जैन धर्म के मूल ग्रंथ
- कल्पसूत्र: भद्रबाहु द्वारा रचित
- परिशिष्ठपर्वन: हेमचंद्र द्वारा रचित
- उत्तराध्ययन सूत्र: महावीर स्वामी की शिक्षाएँ
परीक्षा उपयोगी तथ्य
- महावीर स्वामी ने पावापुरी में चतुर्विध संघ की स्थापना की
- जैन धर्म दो संप्रदायों में बंटा - श्वेतांबर और दिगंबर
- सल्लेखना प्रथा: उपवास द्वारा प्राण त्यागना
पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs)
प्रश्न 1: जैन धर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (UPSC 2020)
- जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव थे
- महावीर स्वामी जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे
- जैन धर्म में अहिंसा का सिद्धांत सबसे महत्वपूर्ण है
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
उत्तर: b) केवल 1 और 3
व्याख्या: महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे, 23वें पार्श्वनाथ थे। अतः कथन 2 गलत है।
प्रश्न 2: 'स्यादवाद' सिद्धांत किस धर्म से संबंधित है? (UPSC 2019)
उत्तर: b) जैन धर्म
व्याख्या: स्यादवाद या अनेकांतवाद जैन दर्शन का मूल सिद्धांत है जो ज्ञान की सापेक्षता पर बल देता है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से किस जैन तीर्थंकर का प्रतीक सिंह है? (UPSC 2018)
उत्तर: c) महावीर स्वामी
व्याख्या: महावीर स्वामी का प्रतीक सिंह है, जबकि ऋषभनाथ का वृषभ और पार्श्वनाथ का सर्प है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए- (UPSC 2007)
1. पार्श्वनाथ - निर्ग्रंथ
2. मक्खलिपुत्र - आजीवक
3. अजित केशकम्बली - बौद्ध
उत्तर: b) केवल 1 तथा 2
व्याख्या: पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर थे। इनकी ऐतिहासिकता प्रमाणित हो चुकी है। पार्श्वनाथ के पिता इक्ष्वाकु वंश के राजा थे। मक्खली पुत्र गोशाल ने आजीवक संप्रदाय की स्थापना की थी। इनके शिक्षा का मुख्य आधार अक्रियावाद एवं नियतिवाद था। अजित केशकम्बली भौतिकवादी विचारधारा के समर्थक थे।
निष्कर्ष
जैन धर्म भारत की प्राचीन आध्यात्मिक परंपराओं में से एक है जिसने अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह जैसे सार्वभौमिक मूल्यों को विकसित किया। इसके 24 तीर्थंकरों ने मानवता को जीवन जीने की उच्चतम नैतिक मान्यताएँ प्रदान कीं। UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में जैन धर्म से संबंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं, विशेषकर तीर्थंकरों, सिद्धांतों और साहित्य के संदर्भ में।
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