
ICJS सिस्टम आर्किटेक्चर
ICJS क्या है?
ICJS (Inter-Operable Criminal Justice System) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है जिसका उद्देश्य पुलिस, फॉरेंसिक, न्यायपालिका और जेल प्रणालियों को डिजिटल रूप से एकीकृत करना है।
ICJS 2.0 भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली के सभी घटकों को डिजिटल रूप से जोड़ने वाला एक उन्नत प्लेटफॉर्म है। यह AI, क्लाउड कंप्यूटिंग और डेटा एनालिटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों पर आधारित है।
मुख्य विशेषताएँ:
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा कार्यान्वित
- ई-गवर्नेंस मिशन मोड प्रोजेक्ट के अंतर्गत
- 2018 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू
- 2022 में ICJS 2.0 लॉन्च किया गया
ICJS के उद्देश्य
डिजिटल एकीकरण
- पुलिस, अदालत, जेल और फॉरेंसिक के बीच डेटा साझाकरण
- ई-एफआईआर, ई-चालान, ई-कोर्ट सिस्टम
- मैनुअल प्रक्रियाओं को कम करना
न्यायिक दक्षता
- मामलों की सुनवाई में तेजी
- केस स्टेटस की रियल-टाइम ट्रैकिंग
- न्यायिक पेंडेंसी कम करना
UPSC के लिए महत्वपूर्ण:
- डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस से जुड़ाव
- न्यायिक सुधारों का हिस्सा
- SDG 16 (शांति, न्याय और मजबूत संस्थान) से संबंध
ICJS के 5 प्रमुख घटक
क्रमांक | घटक | विवरण | संबंधित योजना |
---|---|---|---|
1 | पुलिस (CCTNS) | FIR, अपराधी रिकॉर्ड, जांच रिपोर्ट डिजिटल | क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम |
2 | ई-कोर्ट्स | केस स्टेटस, जजमेंट, वारंट ऑनलाइन | ई-कोर्ट्स मिशन मोड प्रोजेक्ट |
3 | ई-प्रॉजिक्यूशन | चार्जशीट, सबूतों का डिजिटल प्रबंधन | ई-प्रॉसिक्यूशन सिस्टम |
4 | ई-जेल्स | कैदियों का बायोमेट्रिक डेटा, पैरोल सिस्टम | ई-प्रिजन सिस्टम |
5 | फॉरेंसिक लैब्स | डिजिटल फॉरेंसिक रिपोर्ट्स, DNA डेटा शेयरिंग | नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी |
तकनीकी आधार:
- राष्ट्रीय क्लाउड: मेघराज प्लेटफॉर्म
- डेटा एनालिटिक्स: अपराध पैटर्न विश्लेषण
- बायोमेट्रिक: आधार और फिंगरप्रिंट इंटीग्रेशन
- API आधारित: विभिन्न सिस्टम्स का इंटरकनेक्शन
ICJS का महत्व
न्यायिक दक्षता
- मामलों का त्वरित निपटारा
- न्यायिक पारदर्शिता
- कोर्ट प्रोसेस की ऑनलाइन मॉनिटरिंग
राष्ट्रीय सुरक्षा
- आतंकवादियों की ट्रैकिंग
- अंतर्राज्यीय अपराध नियंत्रण
- साइबर अपराध प्रबंधन
डेटा प्रबंधन
- राष्ट्रीय अपराध डेटाबेस
- अपराध पैटर्न विश्लेषण
- पॉलिसी निर्माण में सहायक
UPSC संदर्भ:
- डिजिटल इंडिया मिशन का हिस्सा
- न्यायिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
- सुशासन (Good Governance) का उदाहरण
चुनौतियाँ
तकनीकी चुनौतियाँ
- डेटा सुरक्षा और साइबर हमले
- विभिन्न सिस्टम्स का इंटरऑपरेबिलिटी
- ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर
प्रशासनिक चुनौतियाँ
- राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय
- डेटा शेयरिंग में अनिच्छा
- कर्मचारियों का प्रशिक्षण
निजता संबंधी मुद्दे:
- बायोमेट्रिक डेटा का दुरुपयोग
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनाम सार्वजनिक सुरक्षा
- डेटा संरक्षण कानून (PDP Bill) का अनुपालन
UPSC/राज्य PSC के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
- a) इंटीग्रेटेड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम
- b) इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम ✅
- c) इंडियन क्रिमिनल जुडिशियल सिस्टम
- d) इंटरनेशनल क्राइम जस्टिस सर्विस
- a) कोर्ट मैनेजमेंट
- b) पुलिस डेटा डिजिटलीकरण ✅
- c) जेल प्रशासन
- d) फॉरेंसिक रिपोर्ट्स
मुख्य परीक्षा हेतु संभावित प्रश्न
निष्कर्ष
ICJS भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रतीक है। यह न केवल न्यायिक प्रक्रियाओं को तेज और पारदर्शी बनाता है बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करता है। हालांकि, इसकी सफलता के लिए डेटा सुरक्षा, तकनीकी उन्नयन और विभिन्न हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय आवश्यक है। UPSC और राज्य PSC परीक्षाओं की दृष्टि से यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण टॉपिक है जो गवर्नेंस, टेक्नोलॉजी और न्यायिक सुधारों से संबंधित है।
संदर्भ: NCRB आधिकारिक वेबसाइट | ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट
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