महिलाओं के लिए स्थानीय स्वशासन संस्थाएं और आरक्षण: राजनीतिक प्रक्रिया में बदलते संवेदनशीलता

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महिलाओं के लिए स्थानीय स्वशासन संस्थाएं और आरक्षण: राजनीतिक प्रक्रिया में बदलते संवेदनशीलता


  हल करने की रणनीति (Strategy) 
 
  • महिला आरक्षण एक परिचय
  • महिला आरक्षण में स्थानीय स्वशासन की भूमिका
  • वर्तमान परिपेक्ष्य एवं आगे की राह

परिचय/प्रस्तावना: 

स्वतंत्रता के बाद पहली लोकसभा के गठन से लेकर वर्तमान तक महिलाओं के प्रतिनिधित्व में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है, प्रथम लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी 5 प्रतिशत तक थी जो अब बढ़कर लगभग 15 प्रतिशत (82 महिलायें) हो गई है। वर्तमान (November 10, 2023) में राज्यसभा में 31 महिला संसद है जो कि पूरे सीट का 13 प्रतिशत के बराबर है। 

महिला आरक्षण विधेयक, 2023


  • इस विधेयक को 128वाँ  संवैधानिक संशोधन विधेयक, 2023 के अंतर्गत पारित किया गया था। 
  • विधेयक में प्रस्तावित संशोधन के माध्यम से संविधान में अनुच्छेद 330A को जोड़ा गया है, इसके अंतर्गत केंद्र शासित प्रदेशों या राज्यों में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए रोटेशन के आधार पर एक तिहाई सीटों को आरक्षित किया जा सकता है।
  • अनुच्छेद 330 लोकसभा में अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है। 
  • राज्य विधानसभाओं में इस विधेयक के माध्यम से सविधान में अनुच्छेद 332A जोड़ा गया है, जो कि प्रत्येक राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण को अनिवार्य करने के साथ अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है। 

महिला आरक्षण में स्थानीय स्वशासन की भूमिका:

  • महिला आरक्षण स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है जो सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में है। 
  • इस पहल से स्थानीय स्तर पर महिलाओं को सक्रिय रूप से भाग लेने का मौका मिलता है और उन्हें नेतृत्व की भूमिका में बढ़ावा होता है।
  • इससे समाज समानता की दिशा में कदम बढ़ाती है और महिलाओं को राजनीतिक दलों, स्थानीय पंचायतों, और अन्य स्थानीय निकायों में सही मात्रा में शामिल होने का अधिकार प्रदान करता है। 
  • इस प्रयास से महिलाएं समाज में अपनी आवश्यकताओं के लिए आवाज उठा सकती हैं और उनके उत्कृष्ट नेतृत्व कौशल को पहचाना जा सकता है। 
  • स्थानीय स्वशासन संस्थाएं महिला आरक्षण के माध्यम से समुदाय के समृद्धि में भी योगदान करती हैं, जिससे महिलाएं सामाजिक, आर्थिक, और शिक्षा से जुड़े मुद्दों में अपने दृष्टिकोण और अनुभव को साझा करके समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ा सकती हैं।

वर्तमान परिपेक्ष्य एवं आगे की राह:

  • शिक्षा और जागरूकता: शिक्षा महिलाओं को सोचने और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार करती है। उच्च शिक्षा और सामाजिक जागरूकता से, महिलाएं अपने हक को समझती हैं और स्वतंत्रता से निर्णय लेने में सक्षम होती हैं।
  • कौशल विकसित करना: कौशल विकास महिलाओं को स्वतंत्रता से अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करता है। यह उन्हें समस्याओं का सामना करने और सही निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
  • स्वास्थ्य और आत्म-समर्पण: अच्छे स्वास्थ्य से महिलाएं अपनी शक्ति को सही तरीके से नियंत्रित कर सकती हैं और आत्म-समर्पण से वे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में समर्थ होती हैं।
  • सामाजिक समर्थन: महिलाओं को सामाजिक समर्थन मिलने से उन्हें अपने विचारों और निर्णयों को साझा करने का संवादित प्लेटफ़ॉर्म मिलता है, जिससे वे अपने स्वतंत्र निर्णयों को स्थायी रूप से लेने में आत्मनिर्भर हो सकती हैं।
  • आत्म-मन्नति: आत्म-मन्नति महिलाओं को अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने और स्वतंत्र निर्णय लेने में मदद करती है। यह उन्हें अपनी पहचान में सुरक्षित महसूस करने में मदद करती है।

महिला आरक्षण और बेहतर कैसे हो

  • समर्पित नीतियां: सरकारों को महिला आरक्षण के लिए समर्पित और स्पष्ट नीतियां बनानी चाहिए जो समाज में सामाजिक और राजनीतिक समानता की प्रोत्साहन करती हैं।
  • प्रोत्साहन और जागरूकता: महिलाओं को आरक्षित सीटों के लिए उत्साहित करने और उन्हें जागरूक करने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ानी चाहिए। शैक्षिक कार्यक्रम एवं जागरूकता अभियान महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने में मदद कर सकती है।
  • कानूनी समर्थन: कानूनी सुरक्षा को महिलाओं के लिए सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आरक्षित सीटों पर आरक्षित रहने के लिए कानूनी समर्थन प्रदान करना चाहिए। इसके लिए आवश्यक नियम और शर्तें लागू करना चाहिए। 
  • प्रतिनिधित्व में समानता: महिला आरक्षण के माध्यम से सुनिश्चित करें कि महिलाएं सभी स्तरों पर प्रतिनिधित्व में समान हैं, न कि सिर्फ आरक्षित क्षेत्रों में ही। आनुपातिक प्रतिनिधित्व और अधिमान्य मतदान प्रणाली (Preferential Voting System) शुरू करने जैसे सुधार अधिक महिला निर्वाचन को सुनिश्चित करके राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने में मदद कर सकते है।
  • सामाजिक परिवर्तन: सामाजिक सोच और विचारधारा में परिवर्तन करना चाहिए ताकि महिलाएं आरक्षित सीटों के लिए प्रतिनिधित्व में आगे बढ़ सकें और समाज में समानता की भावना बढ़ सके। लिंग आधारित हिंसा और उत्पीड़न राजनीति में महिलाओं की भागीदारी में बड़ी बाधाएं है।  नीतिगत एवं कानूनी उपायों के माध्यम से इन मुद्दों को संबोधित करने से राजनीति में महिलाओं के लिए एक सुरक्षित एवं अनुकूल वातावरण तैयार किया जा सकता है। 
Note: प्रस्तुत लेख , महिला आरक्षण संबंधित प्रश्नों के उत्तर लेखन में आपकी मदद कर सकता है, लेख आपकी आधारभूत जानकारी को बढ़ाने की दृष्टि से लिखा गया है, इसका तात्पर्य यह नहीं कि आप प्रस्तुत लेख को ही उत्तर समझ लें।  आप अपने उत्तर-लेखन में प्रस्तुत लेख की मदद ले सकते है। 

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