तंजौर बालासरस्वती (Tanjore Balasaraswati)

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तंजौर बालासरस्वती (13 मई 1918 - 9 फरवरी 1984) : भारतीय शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम की एक प्रसिद्ध नर्तकी रह चुकी है। 1977 में भारत सरकार ने इन्हे द्वितीय सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से तथा 1957 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। प्रसिध्द फिल्म डायरेक्टर सत्यजीत रे ने बालासरस्वती को समर्पित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बाला (1976) नाम से बनाया था। 

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Tanjore Balasaraswati

जन्म13 मई 1918
मद्रास, ब्रिटिश भारत 
मृत्यु9 फरवरी 1984 (उम्र 65), मद्रास (भारत) 
राष्ट्रीयता भारत
दादी वीना धनम्माल (बिसवी शताब्दी की प्रसिद्ध संगीतकार)
माता जयाम्मल (गायक)
कार्य क्षेत्रकला (भरतनाट्यम) 
 प्रसिद्धि भरतनाट्यम
प्रथम नृत्य प्रदर्शन  1925 में महज 7 वर्ष की आयु में 
दक्षिण भारत से बाहर प्रथम प्रदर्शनकलकत्ता (1934 में)

सामान्य जीवन परिचय

  • तंजौर बालासरस्वती का जन्म 13 मई 1918 को ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी में हुआ था। 
  • उनके पूर्वज पहले से ही संगीत और कला क्षेत्र से संबन्धित थे। 
  • तंजौर बालासरस्वती की दादी 'वीना धनम्माल (1867-1938)' बिसवी शताब्दी की प्रसिध्द संगीतकार थी। 
  • उनकी माता जी 'जयाम्मल' एक गायक थी। 
  • वे ऐसी पहली महिला थी जिन्होने दक्षिण भारत के बाहर कलकत्ता (1934) में पहली बार परम्परागत शैली की प्रस्तुति दी थी। वहा मशहूर कोरियोग्राफर उदयशंकर ने उनके प्रदर्शन को देखा और उनके प्रदर्शन के प्रबल प्रवर्तक बन गए। 
  • महज 7 वर्ष की आयु में ही उन्होने ने दक्षिण भारत के एक मंदिर में अपनी प्रथम प्रस्तुति दिया था। 
  • कला में उनके योगदान को देखते हुए उन्हे बहुत से प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया। 
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भरतनाट्यम

पुरस्कार और सम्मान

  • बालासरस्वती ने विदेशों में भी बहुत से प्रदर्शन दिये। 1960 के दशक की शुरुआत में उन्होने पूर्वी एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में प्रदर्शन के साथ-साथ विश्व स्तर पर यात्रा की।
  • उन्होने भारत में बहुत से नाटक व कला पुरस्कार प्राप्त किए। 
  • 1955 में संगीत नाटक अकादमी से राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त किया। 
  • 1957 में भारत सरकार ने उन्हे तृतीय सर्वोच्च नागरिक पद्मभूषण से सम्मानित किया। 
  • 1977 में भारत सरकार ने उन्हे द्वितीय सर्वोच्च नागरिक पद्मविभूषण से सम्मानित किया। 
  • 1973 में उन्हे मद्रास संगीत अकादमी से संगीत कलानिधि सम्मान प्राप्त किया, यह पुरस्कार कलाकारों के लिए दक्षिण भारत का सर्वोच्च सम्मान है। 

क्या है भरतनाट्यम?

  • भरतनाट्यम भारतीय शास्त्रीय नृत्य की एक प्राचीन शैली है। 
  • भरतनाट्यम का प्राचीन नाम 'साधिर अट्टम' है। 
  • भरतनाट्यम की उत्पत्ति तमिलनाडु से हुई है। 
  • प्राचीन काल में इसकी प्रस्तुति देवदासियों द्वारा मंदिरों में दी जाती थी। 
  • भरतनाट्यम दक्षिण भारतीय धार्मिक व आध्यात्मिक विषयों को व्यक्त करने की शैली है। 
  • भरतनाट्यम का मुख्य श्रोत आचार्य भरतमुनी के 'नाट्य शास्त्र' को माना जाता है। 
  • भरत शब्द का तात्पर्य भावम् से 'भ', रागम् से 'र' और तालम् से 'त' लिया गया है।
  • भरतनाट्यम को निश्चित ऊपरी धड़, मुड़े हुए पैरों और घुटनों के बल (अरामंडी) को शानदार फुटवर्क और हाथों, आंखों और चेहरे की मांसपेशियों के हाव-भाव पर आधारित सांकेतिक भाषा की मनमोहक शैली के लिए जाना जाता है।
  • नृत्य, संगीत और गायन के साथ होता है साथ ही नर्तक के गुरु नट्टुवनार, निर्देशक और प्रदर्शक और कला के संवाहक के रूप में मौजूद होते हैं।
  • बीसवी सदी के प्रारम्भ में कृष्ण अय्यर और रुक्मिणी देवी के प्रयासों ने इस नृत्य को अत्यधिक प्रसिद्ध किया।
  • भरतनाट्यम के दो भाग होते हैं इसे साधारणतः दो अंशों में सम्पन्न किया जाता है पहला नृत्य और दूसरा अभिनय नृत्य शरीर के अंगों से उत्पन्न होता है इसमें रस, भाव और काल्पनिक अभिव्यक्ति जरूरी है।

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