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प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (1869-1893)
त्वरित तथ्य
- जन्म: 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर, गुजरात
- पूरा नाम: मोहनदास करमचंद गांधी
- पिता: करमचंद गांधी (पोरबंदर के दीवान)
- माता: पुतलीबाई गांधी (धार्मिक विचारों वाली)
- उपनाम: बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता
बचपन और शिक्षा
गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई, जहाँ उन्होंने एक स्थानीय स्कूल में पढ़ाई की। बाद में वे राजकोट चले गए, जहाँ उन्होंने अल्फ्रेड हाई स्कूल में दाखिला लिया। एक औसत छात्र के रूप में, वे खेलकूद या अन्य गतिविधियों में उतने सक्रिय नहीं थे। हालाँकि, उन्होंने अपनी पढ़ाई में मेहनत की और 1887 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। कम उम्र में ही, 13 साल की उम्र में, उनका विवाह कस्तूरबा माखनजी से हुआ।
इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई
गांधी जी ने 1888 में उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड जाने का फैसला किया। वहाँ उन्होंने लंदन में इनर टेंपल से कानून की पढ़ाई की। इंग्लैंड में रहते हुए उन्हें जीवन की नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने भारतीय जीवन शैली और ब्रिटिश संस्कृति के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की।
बैरिस्टर की उपाधि
1891 में, गांधी जी ने अपनी पढ़ाई पूरी की और बैरिस्टर के रूप में भारत लौट आए। भारत लौटने के बाद, उन्होंने मुंबई (तब बॉम्बे) और राजकोट में वकालत शुरू करने की कोशिश की, लेकिन शुरुआती दौर में उन्हें ज़्यादा सफलता नहीं मिली। भारत में वकालत में सफल न हो पाने के कारण 1893 में वे एक भारतीय फर्म के केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए।
दक्षिण अफ्रीका में गाँधी (1893-1914)
1893 से 1914 तक, महात्मा गांधी ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 21 साल दक्षिण अफ्रीका में बिताए। यह समय उनके एक साधारण वकील से एक प्रभावशाली नेता और सत्याग्रह के जनक बनने का काल था। इस दौरान, उन्होंने नस्लीय भेदभाव और अन्याय का सामना किया और इसके खिलाफ लड़ने के लिए अपने अहिंसक प्रतिरोध के तरीकों को विकसित किया।
प्रमुख घटनाएँ
1893: पीटरमैरिट्जबर्ग की घटना
प्रथम श्रेणी की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें रेलगाड़ी से उतार दिया गया क्योंकि वे गोरे नहीं थे। यह घटना उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई।
1894: नेटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना
भारतीयों के अधिकारों की रक्षा के लिए इस संगठन की स्थापना की।
1906: जुलु विद्रोह
गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार के समर्थन में भारतीय एम्बुलेंस कोर का गठन किया।
1906: सत्याग्रह का पहला प्रयोग
एशियाटिक ऑर्डिनेंस के खिलाफ पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।
1913: भारतीय श्रमिकों का संघर्ष
3 पाउंड के टैक्स और अमान्य विवाहों के खिलाफ बड़ा आंदोलन चलाया।
दक्षिण अफ्रीका की विरासत
- सत्याग्रह (सत्य के प्रति आग्रह) की अवधारणा का विकास
- अहिंसक प्रतिरोध के तरीकों का प्रयोग
- टॉल्स्टॉय फार्म की स्थापना (1910)
- 'हिंद स्वराज' पुस्तक की रचना (1909)
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान (1915-1947)
प्रारंभिक गतिविधियाँ (1915-1919)
1915 में गांधीजी भारत लौटे और देश के विभिन्न भागों का भ्रमण किया। उन्होंने साबरमती आश्रम की स्थापना की और भारतीय राजनीति में सक्रिय हुए।
आंदोलन | वर्ष | मुख्य बिंदु | परिणाम |
---|---|---|---|
चंपारण सत्याग्रह | 1917 | नील की खेती करने वाले किसानों के शोषण के खिलाफ | चंपारण एग्रेरियन एक्ट पास हुआ |
खेड़ा सत्याग्रह | 1918 | सूखे के कारण लगान माफ करने की मांग | सरकार ने लगान वसूली स्थगित की |
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन | 1918 | मजदूरों के लिए प्लेग बोनस की मांग | 35% वेतन वृद्धि हुई |
प्रमुख राष्ट्रीय आंदोलन
असहयोग आंदोलन (1920-1922)
जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) और रौलट एक्ट के विरोध में गांधीजी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया।
- सरकारी उपाधियों और सम्मानों का त्याग
- सरकारी शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार
- विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार
- चरखा और खादी को बढ़ावा
1922 में चौरी-चौरा की हिंसक घटना के बाद गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया।
नमक सत्याग्रह/दांडी मार्च (1930)
नमक कानून के विरोध में 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी तक 240 मील की पदयात्रा।
- 6 अप्रैल 1930 को दांडी में नमक बनाकर कानून तोड़ा
- सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ
- देशव्यापी सविनय अवज्ञा आंदोलन
भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद 8 अगस्त 1942 को बंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में "करो या मरो" का नारा देकर आंदोलन शुरू किया।
- तत्काल ब्रिटिश शासन समाप्त करने की मांग
- गांधीजी सहित सभी प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी
- जनता का स्वतः स्फूर्त आंदोलन
गांधीवादी दर्शन और सिद्धांत
गांधीजी के विचारों को "गांधीवाद" कहा जाता है जो सत्य, अहिंसा, सर्वोदय और स्वदेशी जैसे सिद्धांतों पर आधारित है।
मूल सिद्धांत
- सत्य (Truth): गांधीजी के लिए सत्य ईश्वर था और सभी नैतिकता का आधार
- अहिंसा (Non-violence): शारीरिक और मानसिक हिंसा से दूर रहना
- सर्वोदय: समाज के अंतिम व्यक्ति का उत्थान
- स्वदेशी: स्थानीय उत्पादों का उपयोग और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार
- अपरिग्रह: आवश्यकता से अधिक संग्रह न करना
सामाजिक सुधार
गांधीजी ने विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर काम किया:
- छुआछूत उन्मूलन: हरिजनों के उत्थान के लिए कार्य
- मद्यपान निषेध: शराब के विरोध में अभियान
- स्त्री शिक्षा: महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों का समर्थन
- ग्राम स्वराज: गाँवों के स्वावलंबन पर जोर
आर्थिक विचार
- ट्रस्टीशिप सिद्धांत: धन पर समाज का अधिकार
- कुटीर उद्योग: चरखा और खादी को बढ़ावा
- ग्रामोद्योग: गाँवों में छोटे उद्योगों का विकास
UPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न: चंपारण सत्याग्रह (1917) किससे संबंधित था?
उत्तर: (a) नील की खेती
व्याख्या: चंपारण सत्याग्रह बिहार के चंपारण जिले में नील की खेती करने वाले किसानों के शोषण के खिलाफ था। गांधीजी ने इस आंदोलन के माध्यम से किसानों की समस्याओं को उठाया और सरकार को चंपारण एग्रेरियन एक्ट पास करने के लिए मजबूर किया।
प्रश्न: गाँधीजी ने विख्यात वक्तव्य "राजद्रोह मेरा धर्म हो गया है" कब दिया था?
उत्तर: (a) चंपारण सत्याग्रह के समय
व्याख्या: महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह (1917) के दौरान ब्रिटिश सरकार की अन्यायपूर्ण नीतियों का विरोध करते हुए कहा था, "राजद्रोह अब मेरा धर्म बन गया है।" यह वक्तव्य उन्होंने किसानों के साथ हो रहे शोषण और दमन के खिलाफ संघर्ष की प्रतिबद्धता के रूप में दिया। चंपारण आंदोलन गांधीजी का भारत में पहला जन आंदोलन था, जिसने उन्हें राष्ट्रव्यापी नेता बना दिया और ब्रिटिश हुकूमत को चंपारण कृषि कानून (Champaran Agrarian Act, 1918) लागू करने के लिए मजबूर किया।
प्रश्न: "गांधीजी के सत्याग्रह की अवधारणा सिर्फ राजनीतिक हथियार नहीं थी।" विवेचना कीजिए।
उत्तर लेखन मार्गदर्शन:
- परिचय: सत्याग्रह की संक्षिप्त परिभाषा और इसके दोहरे स्वरूप का उल्लेख
- मुख्य भाग:
- सत्याग्रह के नैतिक और दार्शनिक पहलू - सत्य और अहिंसा का संबंध
- व्यक्तिगत और सामाजिक परिवर्तन का साधन - आत्मशुद्धि और सामूहिक जागरण
- राजनीतिक हथियार के रूप में - स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका
- सामाजिक सुधारों में भूमिका - छुआछूत, नारी उत्थान आदि
- निष्कर्ष: सत्याग्रह की बहुआयामी प्रकृति और समकालीन प्रासंगिकता
निष्कर्ष
महात्मा गांधी ने न केवल भारत की स्वतंत्रता बल्कि विश्व शांति और मानवता के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके सिद्धांत सत्य, अहिंसा और सर्वोदय आज भी पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए गांधीजी का जीवन और विचार अत्यंत महत्वपूर्ण हैं जिससे नैतिकता, शासन और सामाजिक न्याय से संबंधित प्रश्नों का उत्तर दिया जा सकता है।
गांधीजी की विरासत हमें सिखाती है कि सच्ची स्वतंत्रता केवल राजनीतिक नहीं बल्कि आर्थिक, सामाजिक और नैतिक स्वतंत्रता से मिलकर बनती है।
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