भारत एवं विश्व की जनजातियाँ (महत्वपूर्ण तथ्यों का संकलन) – UPSC/UPPSC के लिए तथ्यात्मक अध्ययन

Apna UPSC
0
भारत की प्रमुख जनजातियाँ, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, UPSC-UPPSC के लिए जनजातीय विद्रोह और संस्कृति से जुड़ी जानकारी

1. ऐतिहासिक एवं वैश्विक पृष्ठभूमि

➤ जनजातियाँ, जिन्हें आदिवासी, वनवासी या गिरिजन भी कहा जाता है, मानव समाज का वह प्राचीनतम और विशिष्ट समूह हैं जो सभ्यताओं के विकास से अपेक्षाकृत अछूते रहे हैं। ये अपनी अनूठी जीवनशैली, संस्कृति, परंपराओं और विशिष्ट पहचान के साथ प्रकृति के करीब रहते हैं।

➤ अधिकांश जनजातियाँ दुर्गम भौगोलिक क्षेत्रों जैसे घने जंगल, पहाड़, रेगिस्तान या सुदूर द्वीपों में निवास करती हैं। यह भौगोलिक अलगाव उन्हें बाहरी दुनिया के प्रभाव से बचाता है और उनकी विशिष्ट पहचान बनाए रखने में मदद करता है।

➤ जनजातियाँ प्रकृति को पूजनीय मानती हैं और उसके साथ गहरे सामंजस्य में रहती हैं। वे वनों, नदियों और वन्यजीवों का सम्मान करते हैं और उनका उपयोग अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप ही करते हैं, न कि शोषण के लिए।

➤ अधिकांश जनजातियों की अपनी विशिष्ट भाषाएँ और बोलियाँ होती हैं, जो उन्हें बाहरी दुनिया से अलग करती हैं और उनकी सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं।

➤ जनजातीय क्षेत्रों में आमतौर पर जनसंख्या घनत्व कम होता है, जिससे उन्हें अपने पारंपरिक जीवन शैली को बनाए रखने के लिए पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन मिल पाते हैं।

➤ भारत में जनजातियों की एक समृद्ध विविधता है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में फैली हुई हैं। इन्हें भारतीय संविधान में अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) के रूप में मान्यता प्राप्त है। भारत सरकार जनजातीय समुदायों के संरक्षण और विकास के लिए विशेष प्रावधान करती है ताकि उनकी संस्कृति, भाषा और जीवनशैली को बनाए रखा जा सके और उन्हें मुख्यधारा के विकास से जोड़ा जा सके, बिना उनकी मौलिक पहचान को खोए।

भारतीय जनजातियों की विशेषताएँ:

पक्ष विवरण
भाषा अधिकांश जनजातियाँ ऑस्ट्रो-एशियाटिक, द्रविड़ीय, सिनो-तिब्बती भाषाएँ बोलती हैं।
धर्म प्रकृति पूजा, टोटेम पूजा, पूर्वज पूजा। कुछ ने हिंदू या ईसाई धर्म भी अपनाया।
आर्थिक जीवन झूम खेती (Shifting Cultivation), शिकार, मछली पकड़ना, वनोपज एकत्र करना।
सामाजिक संरचना कुलों (Clans) और गोत्रों पर आधारित, मातृसत्तात्मक व पितृसत्तात्मक दोनों प्रकार पाए जाते हैं।
त्योहार सरहुल, कर्मा, सोहराई, भगोरिया आदि विशेष जनजातीय पर्व हैं।

विश्व की प्रमुख जनजातियाँ एवं क्षेत्र विशेषताएँ:

जनजाति क्षेत्र
माओरी माओरी (Māori) न्यूजीलैंड के स्वदेशी पॉलीनेशियन लोग हैं। ये अपनी समृद्ध संस्कृति, अनूठी परंपराओं और सशक्त पहचान के लिए जाने जाते हैं।
कुर्द इराक, ईरान, तुर्की, सीरिया, आर्मेनिया और अज़रबैजान (पश्चिमी एशिया) में बड़े पठारी क्षेत्रों में रहने वाले पशुपालक कृषक
एस्किमो (इनुइट/युपिक/युइत) कनाडा का उत्तरी भाग, ग्रीनलैंड, अलास्का (संयुक्त राज्य अमेरिका), साइबेरिया का उत्तरी-पूर्वी चुकची प्रायद्वीप (रूस)
याकूत (साख़ा) रूसी संघ का साख़ा गणतंत्र (उत्तरी साइबेरिया), अमूर, मागादान, साखालिन क्षेत्र और क्रास्नोयार्स्क क्राई के तैमिर व एवेंक स्वशासित क्षेत्रों में भी। ये तुर्क जातीय समूह से संबंधित हैं, अपनी साख़ा भाषा बोलते हैं, और पारंपरिक रूप से घोड़े और बारहसिंगा पालन में संलग्न रहते हैं।
फ़ेल्लाह विशेष रूप से मिस्र (नील नदी घाटी) में एक किसान या मजदूर।
चांगपा चांगपा (Changpa) जनजाति तिब्बती मूल का एक अर्ध-खानाबदोश मानव समुदाय है जो भारत के लद्दाख़ क्षेत्र के चांगथंग इलाके में बसते हैं। वे अच्छे किस्म का ऊन देने वाले पश्मीना बकरे-बकरियों को पालते है।
अपतानी या तानी अपतानी या तानी अरुणाचल प्रदेश (भारत) की एक जनजाति है। ये लोग अरुणाचल के लोवर सुबंसिरि जिले के जीरो वैली में पाये जाते हैं। इनकी कुल जनसंख्या लगभग 60,000 है। इनकी भाषा का नाम भी 'अपतानी भाषा' है जो चीनी-तिब्बती परिवार की भाषा है।
ड्याक (Dyak) डायक (Dayak) या ड्याक (Dyak) और डायह (Dayuh) दक्षिणपूर्वी एशिया के बोर्नियो द्वीप के मूल निवासियों का एक जातीय समूह है। 200 से अधिक भिन्न उपभाषाओं, परम्पराओं, नियमों, क्षेत्रों व संस्कृतियों वाले उपसमुदाय इसमें शामिल हैं जो एक-दूसरे से आसानी से अलग बताये जा सकते हैं लेकिन जिनमें आपसी समानताएँ भी हैं। डायक लोग अलग-अलग डायक भाषाएँ बोलते हैं जो ऑस्ट्रोनीशियाई भाषा-परिवार की एक शाखा है।
डिंका (Dinka) डिंका लोग दक्षिण सूडान के मूल निवासी एक नीलोटिक जातीय समूह हैं। डिंका ज़्यादातर नील नदी के किनारे, मंगला-बोर से रेन्क तक, बहर अल ग़ज़ल क्षेत्र, ऊपरी नील नदी (तीन में से दो प्रांत जो पहले दक्षिणी सूडान का हिस्सा थे) और दक्षिण सूडान में नोगोक डिंका के अबेई क्षेत्र में रहते हैं।
पिग्मी (Pygmy) पिग्मी (Pygmy) ऐसे मानव जातीय समूह हैं जिसके सदस्यों का औसत क़द असाधारण रूप से कम होता है। ये लोग वनों में अस्थाई जीवन व्यतीत करते है अर्थात ये एक जगह अधिक समय तक स्थाई रूप से निवास नहीं करते हैं परन्तु ये घुमक्कड़ जनजाति नहीं हैं। ये लोग छोटी-छोटी झोंपड़ियों में रहते है जो कि पेड़ों और पत्तियों से बनी होती हैं।
ऐनू (Ainu) ऐनू, जापान में एक स्वदेशी जातीय समूह है जो उत्तरी जापान और दक्षिणपूर्वी रूस में रहता है, जिसमें होक्काइडो और होन्शू का तोहोकू क्षेत्र, साथ ही ओखोटस्क सागर के आसपास की भूमि, जैसे सखालिन, कुरील द्वीप, कामचटका प्रायद्वीप और खाबरोवस्क क्राय शामिल हैं।
बुशमैन बुशमैन, अथवा सान लोग अफ्रीका के कालाहारी मरुस्थल और आसपास के इलाकों में निवास में करने वाली एक बेहद प्राचीन व प्रमुख जनजाति हैं।
मसाई (Maasai) मसाई, दक्षिणी केन्या और उत्तरी तंजानिया में निवास कर रहे अर्द्ध-खानाबदोश लोगों का एक नीलोटिक जातीय समूह हैं।
किर्गिज़ (Kyrgyz) किर्गिज़ जनजाति मध्य एशिया के मूल निवासी एक तुर्क जातीय समूह हैं। वे मुख्य रूप से किर्गिस्तान , उज्बेकिस्तान और चीन में रहते हैं। किर्गिज़ प्रवासी रूस, ताजिकिस्तान और कजाकिस्तान में भी पाए जाते हैं। वे किर्गिज़ भाषा बोलते हैं, जो किर्गिस्तान की आधिकारिक भाषा है।
बदू या बदूईन बदू या बदूईन (Bedouin) सऊदी अरब की जनजाति है जो पारम्परिक रूप से ख़ानाबदोश जीवन व्यतीत करते हैं और 'अशाइर' नामक क़बीलों में बंटे हुए हैं। यह अधिकतर जोर्डन, इराक़, अरबी प्रायद्वीप और उत्तर अफ्रीका के रेगिस्तानी क्षेत्रों में रहते हैं।
फ़ुलानी (Fulani) फ़ुला (Fula) या फ़ुलानी (Fulani) पश्चिमी अफ्रीका और अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में पूर्व में सूडान व इथियोपिया तक विस्तृत एक समुदाय है।
बंटू (Bantu) बंटू जनजाति लगभग 400 विशिष्ट मूल अफ्रीकी जनजातीय समूहों का एक समूह हैं जो बंटू भाषाएँ बोलते हैं। ये भाषाएँ पश्चिम अफ्रीका से लेकर मध्य अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व अफ्रीका और दक्षिणी अफ्रीका तक फैले विशाल क्षेत्र में फैले देशों की मूल निवासी हैं। बंटू लोग पूर्वोत्तर अफ्रीकी राज्यों के दक्षिणी क्षेत्रों में भी निवास करते हैं।
सेमांग (Semang) सेमांग, मलेशिया में निवास करने वाली एक प्रमुख जनजाति हैं। यह जनजाति मुख्य रूप से मलेशिया के भूमध्यवर्ती क्षेत्रों में पायी जाती है। उत्तरी मलय प्रायद्वीप में रहने वाले यह जनजाति विश्व की सबसे खतरनाक जनजाति में से एक है।

मधेशी समूह की जनजातियाँ

➤ मधेशी समुदाय मुख्य रूप से नेपाल के तराई क्षेत्र (जो नेपाल का दक्षिणी, समतल क्षेत्र है) और भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश और मधेश (भारत-नेपाल सीमा के पास का क्षेत्र) में निवास करता है।


➤ यह समुदाय अपनी भाषा, संस्कृति, और आर्थिक गतिविधियों के संदर्भ में विविधता प्रदर्शित करता है, लेकिन इनकी सांस्कृतिक पहचान मुख्य रूप से हिंदू धर्म और भारतीय और नेपाली सांस्कृतिक प्रभावों से जुड़ी हुई है।

2. भारत में जनजातीय विद्रोह एवं आंदोलन

संथाल विद्रोह (1855-56)

संथाल परगना क्षेत्र में सिदो और कान्हू के नेतृत्व में ब्रिटिश शोषण के विरुद्ध संघर्ष।

भील विद्रोह (1818-31)

मध्य भारत (मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र) में भील जनजाति द्वारा ब्रिटिश सत्ता और स्थानीय शासकों के विरुद्ध संघर्ष।

बिरसा मुंडा आंदोलन (1899-1900)

झारखंड में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में "उलगुलान" नामक महान विद्रोह।

कोल विद्रोह (1831-32)

छोटानागपुर क्षेत्र में कोल जनजाति द्वारा ब्रिटिश भूमि व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष।

जुआंग विद्रोह (1861-63)

उड़ीसा के जुआंग आदिवासियों द्वारा ब्रिटिश शासन और साहूकारों के खिलाफ विद्रोह।

नागा विद्रोह (1879-80)

नागालैंड में नागा जनजातियों द्वारा ब्रिटिश विस्तारवाद के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष।

अहोम विद्रोह (1828-33)

असम में अहोम सरदारों द्वारा ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम।

कूकी विद्रोह (1917-19)

मणिपुर-मिजोरम क्षेत्र में कूकी जनजाति द्वारा ब्रिटिश भर्ती नीति के विरुद्ध विद्रोह।

कूका आंदोलन (1872)

पंजाब में कूका संप्रदाय द्वारा ब्रिटिश शासन और सिख सरदारों के विरुद्ध संघर्ष।

खोंड विद्रोह (1837-56)

उड़ीसा के खोंड आदिवासियों द्वारा ब्रिटिश भूमि कर व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष।

पाबना किसान आंदोलन (1873-85)

बंगाल में किसानों द्वारा जमींदारों के अत्याचार और अधिक भू-राजस्व के विरुद्ध संघर्ष।

सन्यासी विद्रोह (1763-1800)

बंगाल में सन्यासियों और फकीरों द्वारा अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध संघर्ष।

रम्पा विद्रोह (1879-80)

आंध्र प्रदेश में रम्पा आदिवासियों द्वारा ब्रिटिश वन नीतियों के विरुद्ध संघर्ष।

हो विद्रोह (1820-21)

झारखंड और उड़ीसा में हो जनजाति द्वारा ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष।

चुआर विद्रोह (1766-1809)

बंगाल और बिहार में चुआर आदिवासियों द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष।

जियातरंग आंदोलन (1930s

जियातरंग आंदोलन नागालैंड में प्रारंभ हुआ। इसे रानी गैडिनलियु ने आरंभ किया था।।

एका आंदोलन (1921-22)

अवध क्षेत्र में किसानों द्वारा तालुकदारों और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संगठित प्रतिरोध।

संथाल विद्रोह (प्रमुख तथ्य)

➤ वर्ष 1855-56 में शुरू संथाल विद्रोह, जिसे संथाल हूल के रूप में भी जाना जाता है; भारत के संथाल जनजाति द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, जमींदारी प्रथा और सामंतवादियों के क्रुर नीतियों के खिलाफ पूर्वी भारत में वर्तमान झारखण्ड और पश्चिम बंगाल का एक विद्रोह था।


➤ विद्रोह का नेतृत्व चार मूर्मू भाइयों - सिद्धू, कान्हू, चांद और भैरव तथा दो जुड़वां मूर्मू बहनें - फूलो और झानो ने किया।


गोकुल (गोक्को) इस विद्रोह के एक प्रमुख नेता थे जिन्होंने गोड्डा क्षेत्र में संथालों का नेतृत्व किया।


➤ यह विद्रोह मुख्यतः भागलपुर से राजमहल (झारखण्ड) के बीच केंद्रित था, इस क्षेत्र को दामन-ए-कोह के नाम से जाना जाता था।


➤ संथालों ने 30 जून 1855 को 10,000 लोगों की विशाल सभा कर विद्रोह की घोषणा की और अंग्रेजों तथा उनके सहयोगियों के खिलाफ 'लड़ाई' का ऐलान किया।


मेजर बेरोज के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना को संथालों के साथ 5 घंटे के भीषण संघर्ष के बाद परास्त होना पड़ा था।


➤ बाद में अंग्रेजों ने मार्शल लॉ लगाकर संथालों का क्रूरतापूर्वक दमन किया, जिसमें हजारों संथाल मारे गए और गोकुल सहित कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।


दीन दयाल रे पाकुर महाजन का प्रकरण विद्रोह का एक महत्वपूर्ण पहलू था, जहाँ साहूकारों के अत्याचारों के खिलाफ संथालों ने विद्रोह किया था।


➤ अंग्रेजों ने सेना भेजकर इस विद्रोह को क्रूरतापूर्वक दबा दिया, जिसमें हजारों संथाल मारे गए और नेताओं को फाँसी दे दी गई।


➤ इस विद्रोह के बाद अंग्रेजों ने 1856 में 'संथाल परगना' नामक एक अलग जिला बनाया तथा संथालों के लिए कुछ विशेष कानून बनाए तथा किसी संथाल का गैर-संथाल को भूमि अंतरण करना गैरकानूनी हो गया।


➤ संथाल विद्रोह को भारत के प्रमुख आदिवासी विद्रोहों में से एक माना जाता है जिसने बाद के स्वतंत्रता संग्राम को प्रभावित किया।

मुंडा विद्रोह (प्रमुख तथ्य)

➤ मुंडा विद्रोह (1899-1900) झारखंड के मुंडा आदिवासियों द्वारा ब्रिटिश शासन और जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ किया गया संगठित विद्रोह था।


➤ इस विद्रोह का नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया, जिन्हें उनके अनुयायी 'धरती आबा' (पृथ्वी पिता) कहते थे।


➤ विद्रोह का मुख्य केंद्र राँची, सिंहभूम, खूंटी, गुमला और बंदगाँव के क्षेत्र थे।


➤ मुंडाओं ने 'उलगुलान' (महाविद्रोह) का आह्वान करते हुए अंग्रेजों और जमींदारों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष शुरू किया।


➤ विद्रोह का मुख्य कारण था - भूमि अधिकारों की हानि, बेगारी प्रथा और ब्रिटिश राज की शोषणकारी नीतियाँ।


➤ बिरसा मुंडा ने 'बिरसाइत' नामक नए धर्म का प्रचार किया जो मुंडाओं को एकजुट करने में सहायक हुआ।


➤ बिरसा मुंडा के गुरु का नाम 'आनंद पांडेय' था।

➤ 1899 में विद्रोह चरम पर पहुँचा जब मुंडाओं ने चर्चों, पुलिस स्टेशनों और जमींदारों के घरों पर हमले किए।


➤ अंग्रेजों ने क्रूर दमन किया - बिरसा मुंडा को 1900 में गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई।


➤ इस विद्रोह के परिणामस्वरूप छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट (1908) बना जिससे आदिवासियों को कुछ भूमि अधिकार मिले।


➤ मुंडा विद्रोह को भारत के सबसे संगठित आदिवासी विद्रोहों में गिना जाता है जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रभावित किया।

मोपला विद्रोह/मालाबार विद्रोह (1921)

मोपला विद्रोह (1921) केरल के मालाबार क्षेत्र में मुस्लिम किसानों (मोपला) द्वारा ब्रिटिश शासन और हिंदू जमींदारों के खिलाफ किया गया सशस्त्र विद्रोह था।


➤ यह विद्रोह खिलाफत आंदोलन और असहयोग आंदोलन (मुख्य रूप से) के साथ जुड़ा हुआ था जिसमें वारियामकुन्नाथ कुन्हम्मद हाजी प्रमुख नेता थे।


➤ विद्रोह का मुख्य कारण था - कठोर भूराजस्व नीति, जमींदारों का शोषण और ब्रिटिशों की दमनकारी नीतियाँ।


➤ विद्रोह अगस्त 1921 में शुरू हुआ जब ब्रिटिशों ने खिलाफत नेताओं को गिरफ्तार किया, जिसके बाद मोपलाओं ने पुलिस स्टेशनों, सरकारी भवनों और जमींदारों के घरों पर हमला किया।


➤ इस विद्रोह में धार्मिक तनाव भी उभरा जिसके कारण कई हिंदू परिवारों को जबरन धर्म परिवर्तन या पलायन करना पड़ा।


➤ ब्रिटिशों ने भारी सैन्य बल भेजकर विद्रोह को दबाया - लगभग 10,000 मोपला मारे गए और 45,000 को गिरफ्तार किया गया।


➤ विद्रोह के नेताओं को फाँसी दी गई या काला पानी (अंडमान) की सजा सुनाई गई।


➤ इस विद्रोह के बाद मालाबार टेनेंसी एक्ट (1930) पारित हुआ जिसने किसानों को कुछ अधिकार दिए।


➤ मोपला विद्रोह को ब्रिटिश भारत के सबसे भीषण किसान विद्रोहों में से एक माना जाता है।


➤ यह विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण लेकिन विवादित अध्याय है।

3. संवैधानिक स्थिति

अनुसूचित जनजाति की परिभाषा

संविधान के अनुच्छेद 366(25) के अनुसार, अनुसूचित जनजाति वे समुदाय हैं जिन्हें राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 342 के तहत घोषित किया है।

महत्वपूर्ण संवैधानिक अनुच्छेद:

अनुच्छेद प्रावधान
अनुच्छेद 342 अनुसूचित जनजातियों की घोषणा
अनुच्छेद 244 अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन
अनुच्छेद 275 जनजातीय कल्याण के लिए विशेष अनुदान
अनुच्छेद 330, 332 लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण

PVTG (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह)

PVTG (Particularly Vulnerable Tribal Groups) भारत की सबसे कमजोर जनजातियाँ हैं जिनकी पहचान 1975 में डांगे समिति ने की थी। वर्तमान में भारत में 75 PVTG हैं।

मानदंड: प्रौद्योगिकी का निम्न स्तर, साक्षरता दर कम, गिरती या स्थिर जनसंख्या, आजीविका का पारंपरिक साधन।

4. सामाजिक तथा भौगोलिक विवरण

आर्थिक स्थिति

  • अधिकांश जनजातियाँ कृषि, वन उत्पाद संग्रह और शिकार पर निर्भर
  • बेरोजगारी की उच्च दर
  • संसाधनों तक सीमित पहुँच

शैक्षिक स्थिति

  • राष्ट्रीय औसत से कम साक्षरता दर
  • स्कूल छोड़ने की उच्च दर
  • शिक्षा की भाषा एक बड़ी चुनौती

स्वास्थ्य स्थिति

  • कुपोषण की उच्च दर
  • शिशु मृत्यु दर अधिक
  • स्वास्थ्य सुविधाओं तक सीमित पहुँच

सांस्कृतिक विशेषताएँ

जनजातीय समुदायों की अपनी विशिष्ट भाषा, रीति-रिवाज, त्यौहार, कला और शिल्प होते हैं। इनमें से कई प्रथाएँ प्रकृति पूजा और पूर्वजों की पूजा से जुड़ी हैं।

5. राज्यवार प्रमुख जनजातियाँ

राज्य प्रमुख जनजातियाँ जनसंख्या %
झारखंड संथाल, मुंडा, हो, ओरांव 26.2%
मध्य प्रदेश भील, गोंड, कोल, कोरकू 21.1%
ओडिशा संथाल, गोंड, भूयां, कोया 22.8%
राजस्थान भील, मीणा, गरासिया, सहरिया 13.5%
गुजरात भील, डामोर, धोड़िया पटेलिया 14.8%
अरुणाचल प्रदेश अदि, अपातानी, न्यिशी, मोनपा 68.8%

6. जनगणना-2011 तथा रोचक तथ्य

जनसंख्या

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की कुल जनसंख्या का 8.6% (लगभग 10.4 करोड़) अनुसूचित जनजाति से है।

भाषाई विविधता

भारत की जनजातियाँ 700 से अधिक भाषाएँ बोलती हैं जो मुख्यतः ऑस्ट्रो-एशियाटिक, द्रविड़ और तिब्बती-बर्मन भाषा परिवार से संबंधित हैं।

विश्व की सबसे बड़ी जनजाति

भील जनजाति भारत की सबसे बड़ी जनजाति है जिसकी जनसंख्या लगभग 1.7 करोड़ है।

अद्वितीय परंपराएँ

जारवा जनजाति (अंडमान) दुनिया की अंतिम नेग्रिटो जनजातियों में से एक है जो अभी भी शिकार-संग्रह पर निर्भर है।

निष्कर्ष

भारत की जनजातियाँ देश की सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक विरासत का अभिन्न अंग हैं। इन समुदायों ने अपनी विशिष्ट पहचान को बनाए रखते हुए आधुनिक चुनौतियों का सामना किया है। संवैधानिक संरक्षण और विकासात्मक पहलों के बावजूद, इन समुदायों को अभी भी शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक अवसरों तक पहुँच बढ़ाने की आवश्यकता है। जनजातीय समुदायों के सतत विकास के लिए उनकी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करते हुए आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है।

भारतीय जनजातियाँ अनुसूचित जनजाति PVTG PESA Act, FRA Act Tribal culture in India जनजातीय विद्रोह संवैधानिक प्रावधान जनजातीय संस्कृति भारतीय आदिवासी जनजातीय अधिकार ST population Census 2011 Tribes of India for UPSC जनजातीय विद्रोह UPSC

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Please do not enter any spam link in the comment box.

एक टिप्पणी भेजें (0)