हमारे चारों ओर उपस्थित वस्तुओं में विभिन्न प्रकार की गतियाँ देखी जा सकती हैं। इनमे से कुछ गतियाँ ऐसी होती हैं जिनमें कोई वस्तु एक ही पथ पर एक निश्चित समयांतराल पर अपनी गति को बार-बार दोहराती है, ऐसी गति को आवर्ती गति (Periodic Motion) कहते हैं। नदी में डूबती-उतरी हुई नाव, वाष्प इंजन में, अग्र और पश्च चलता हुआ पिस्टन आदि आवर्त गति के उदाहरण हैं। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर निश्चित कक्षा में चक्कर लगाती है, तो पृथ्वी की यह गति भी आवर्त गति कहलाती है।
सरल आवर्त गति (Simple Harmonic Motion)
जब कोई कण किसी निश्चित बिंदु के इधर-उधर सरल रेखा में इस प्रकार गति करता है कि कण पर कार्य करने वाले प्रत्यानयन बल अथवा त्वरण की दिशा सदैव उस निश्चित बिंदु की ओर दिष्ट होती है तथा त्वरण का परिमाण उस निश्चित बिंदु के कण के विस्थापन के समानुपाती होता है, तो कण की यह गति सरल आवर्त गति (Simple Harmonic Motion) कहलाती है। यह एक विशेष प्रकार की दोलनी गति है।
उदाहरण- कपन करने वाली वस्तु की गति, डोरी से लटके लोलक की गति, स्प्रिंग से लटके भार की ऊपर-नीचे की गति आदि।
सरल आवर्त गति के प्रतिबंध
सरल आवर्त गति के प्रतिबंध निम्नलिखित हैं-
- सरल आवर्त गति करते हुए कण की गति एक स्थिर बिंदु (साम्य स्थिति) के इधर-उधर सरल रेखा मैं होनी चाहिए।
- बल अथवा त्वरण की दिशा सदैव साम्य बिन्दु की ओर होनी चाहिए।
- सरल आवर्त गति में कण पर कार्यरत् प्रत्यानयन बल (F), कण के विस्थापन (y) के सदैव अनुक्रमानुपाती होता है तथा बल की दिशा विस्थापन के विपरीत होती है। अथांत् F ∝ -y अथवा F = -ky जहाँ, k एक नियतांक है, जिसे बल नियतांक अथवा बल स्थिरांक कहते हैं। ऋणात्मक चिन्ह यह दर्शाता है कि बल की दिशा सदैव विस्थापन के विपरीत होती है।
सरल आवर्त गति संबंधी परिभाषाएँ
सरल आवर्त गति से संबंधित महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-
आवर्तकाल (Time period)
वह न्यूनतम समय जिसके पश्चात् गति की पुनरावृत्ति होती है, आवर्तकाल कहलाता है। इसका SI मात्रक सेकण्ड होता है, इसे 'T' से व्यक्त करते हैं। आवर्तकाल, T = 2π/W
जहाँ, W = सरल आवर्त गति का कोणीय वेग है।
आवृत्ति (Frequency)
सरल आवर्त गति करता हुआ कण एक सेकण्ड में जितने कपन पूरे करता है उन कंपनों की संख्या आवृत्ति कहलाती है। इसे 'n' से व्यक्त करते हैं। आवृत्ति आवर्तकाल के व्युत्क्रम के बराबर होती है। अर्थात आवृति = 1/आवर्तकाल इसका SI मात्रक हर्ट्ज होता है।
विस्थापन (Displacement)
सरल आवर्त गति करते हुए किसी कण की संदर्भ बिंदु या मूल बिंदु के सापेक्ष कण की स्थिति में परिवर्तन विस्थापन कहलाता है। इसका मात्रक मीटर होता है, इसे y से व्यक्त करते हैं।
आयाम (Amplitude)
सरल आवर्तं गति करते हुए किसी कण का उसकी माध्य स्थिति के किसी ओर अधिकतम विस्थापन आयाम कहलाता है। इसका SI मात्रक मीटर होता है, इसे a से व्यक्त करते हैं।
कला (Phase)
सरल आवर्त गति करते हुए किसी कण के लिए कला वह राशि है, जो किसी समय पर उसकी स्थिति व गति की दिशा को व्यक्त करती है।
सरल लोलक (Simple Pendulum)
यदि किसी भारी बिन्दु द्रव्यमान को एक द्रव्यमान रहित, लंबाई में न बढ़ने वाली पूर्ण प्रत्यास्थ डोरी की सहायता से एक घर्षण रहित दृढ़ आधार से लटका दें, तो यह समायोजन, सरल लोलक (Simple pendulum) कहलाता है। व्यवहार में इस प्रकार का समायोजन असंभव है, इसलिए इसे आदर्श सरल लोलक (Ideal simple pendulum) कहते हैं। सरल लोलक का आवर्त काल निम्न सूत्र द्वारा प्राप्त होता है आवर्तकाल, T=2π√l/g जहाँ, l लोलक की प्रभावी लंबाई तथा g गुरुत्वीय त्वरण है। सरल लोलक के आवर्तकाल के सूत्र से निम्न निष्कर्ष निकलते हैं-
- आवर्तकाल द्रव्यमान (m) पर निर्भर नहीं करता है।
- आवर्तकाल प्रभावी लंबाई (l) के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात् यदि गोलक की प्रभावी लंबाई 4 गुनी कर दी जाए, तो आवर्तकाल दोगुना हो जाएगा।
- आवर्तकाल गुरुत्वीय त्वरण (g) के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात् (g) का मान कम होने पर आवर्तकाल बढ़ जाता है।
- अनंत लंबाई के सरल लोलक का आवर्तकाल 84.6 मिनट होता है।
- सेकण्ड लोलक का आवर्तकाल 2 सेकण्ड होता है। . यदि
- यदि लोलक घड़ी को उपग्रह पर ले जाया जाए, तो वहाँ भारहीनता के कारण g = 0 होगा, जिससे घड़ी का आवर्तकाल अनन्त हो जाएगा। अतः उपग्रह पर लोलक घड़ी काम नहीं करेगी।
- आवर्तकाल, लोलक के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है। यदि झूलने वाली लड़की के बराबर में कोई दूसरी लड़की आकर बैठ जाए, तो आवर्तकाल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- गर्मियां में लोलक की लंबाई बढ जाती है, इसलिए उसका आवर्तकाल (T) भी बढ जाता है। फलतः घड़ी सुस्त हो जाती है। सर्दियों मे लंबाई (l) कम हो जाने से आवर्तकाल (T) भी कम हो जाता है और लोलक घड़ी तेज चलने लगती है।
- चंद्रमा पर लोलक घड़ी को ले जाने पर उसका आवर्तकाल बढ़ जाएगा, क्योंकि चंद्रमा पर g का मान, पृथ्वी पर g के मान का 1/6 गुना है।
- दोलनकाल बढ़ने से लोलक घड़ी सुस्त चलती है तथा दोलनकाल घटने से लोलक घड़ी तेज चलती है। मंदक बलो की अनुपस्थिति में सरल लोलक के द्वारा एक पूर्ण चक्कर में कार्य शून्य होता है।
मुक्त दोलन व स्वाभाविक आवृति (Free Oscillation & Natural Frequency)
- जब किसी वस्तु को (जोकि दोलन कर सकती है) साम्य स्थिति से विस्थापित करके छोड़ दिया जाता है, तो वह निश्चित आवृत्ति से दोलन करने लगती है। इस निश्चित आवृत्ति को ही स्वाभाविक आवृत्ति (Natural frequency) कहते हैं।
- यह आवृत्ति वस्तु की प्रत्यास्थता, आकार आदि गुणों पर निर्भर करती है। स्वाभाविक आवृत्ति से कंपन करने को हीं मुक्त दोलन (Free oscillation) कहते है। मुक्त दोलनों पर किसी बाह्य बल (घर्षण बल) का प्रभाव नहीं पड़ता है।
- सरल लोलक को साम्य स्थिति से विस्थापित करके छोड़ने पर यह मुक्त दोलन करता है, जिनकी आवृत्ति (स्वाभाविक) लोलक की लंबाई तथा गुरुत्वीय त्वरण
पर ही निर्भर करती है। इस स्थिति में, लोलक नियत आयाम से अनंत समय तक कंपन करता रहेगा।
उदाहरण- ऊँचे भवन, पुल, जहाज, मशीन आदि के विभिन्न भाग के दोलन आदि। - जब एक सोनोमीटर तार को खींचा जाता है, तो यह स्वाभाविक आवृत्ति से कंपन करने लगता है। यह तार की लंबाई, घनत्व तथा तार के तनाव या खिचाव पर निर्भर करता है।
अवमंदन एवं अवमंदित दोलन (Damping & Damped oscillations)
- जब कोई वस्तु किसी माध्यम में दोलन करती है, तो वस्तु की गति के विरुद्ध अवरोधी बल (घर्षण बल) भी कार्य करते हैं, जिससे दोलन आयाम लगातार
घटता जाता है और अंत मैं शून्य हो जाता है।
इस प्रकार के दोलन अवमंदित दोलन (Damped oscillations) कहलाते हैं। आयाम के लगातार क्षय होने को अवमंदन (Damping) कहते हैं। - यदि किसी माध्यम में दोलन करने वाली वस्तु का वेग कम है, तो माध्यम द्वारा वस्तु पर लगाया गया अवमंदक बल वस्तु के वेग के अनुक्रमानुपाती होता है तथा
वस्तु के वेग की विपरीत दिशा में कार्य करता है।
उदाहरण- सरल लोलक के दोलन, स्वरित्र द्विभुज के दोलन, सोनोमीटर के तार के कंपन आदि।
प्रणोदित दोलन (Forced Oscillations)
जब कोई वस्तु बाह्य आवर्ती बल के अतर्गत अपनी स्वाभाविक आवृत्ति से भिन्न किसी आवृत्ति से दोलन करती है तो वस्तु के इस प्रकार के दोलन प्रणोदित दोलन (Forced oscillations) कहलाते हैं। उदाहरण-
- जब सरल लोलक के बॉब (Bob) को हाथ में रखकर कंपन कराते हैं तो इस प्रकार के कंपन प्रणोदित कंपन कहलाते हैं।
- जब कंपन करते हुए किसी स्वरित्र त्रिभुज के दस्ते को हम हाथ में पकड़े रहते हैं, तो मंद ध्वनि सुनाई पड़ती है। किन्तु यदि उस दस्ते को किसी मेज पर टिका देते हैं, तो तीव्र ध्वनि सुनाई देती है। इसका कारण यह है कि स्वरित्र त्रिभुज के दोलन, दस्ते के द्वारा मेज पर पहुँचाए जाते हैं जिससे मेज़ तथा मेज के संपर्क की वायु मैं प्रणोदित कंपन उत्पन्न होने लगते हैं।
- तार वाले वाद्य यंत्रों (Musical instruments); जैसे- स्वरमापी, पियानो, सितार, वायलिन आदि में तार के नीचे एक खोखला बॉक्स होता है, जिसे ध्वनि बोर्ड कहते हैं। यह तारों में उत्पन्न कंपनों की तीव्रता बढ़ाने में सहायक होता है।
- जब यंत्र के तार में किसी आवृत्ति के कंपन उत्पन्न किए जाते हैं, तो तार पर कंपन तार के नीचे लगे सेतु (Bridge) के द्वारा खोखले बॉक्स में पहुँच जाते हैं, तब बॉक्स तथा उसके अंदर की वायु में प्रणोदित (Propelled) कंपन उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे ध्वनि की तीव्रता बढ़ जाती है।
अनुनाद (Resonance)
जब किसी वस्तु पर लगाए गए बाह्य बल की आवृत्ति वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर अथवा पूर्ण गुणज में होती है, तो वस्तु के प्रणोदित दोलनों का आयाम बहुत अधिक बढ़ जाता है। इस घटना को अनुनाद (Resonance) कहते हैं तथा इन दोलनों को अनुनादी दोलन (Resonance oscillations) कहते हैं। उदाहरण-
- जब कोई सेना पुल पार करती है, तो सैनिक कदम मिलाकर नहीं चलते हैं। इसका कारण है कि सैनिकों के कदमों की आवृत्ति पुल की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर हो जाती है, जिससे अनुनादी कंपनों के द्वारा पुल के टूटने का खतरा बढ़ जाता है।
- इसी प्रकार यदि किसी मकान में लगी हुई मशीन की आवृत्ति मकान की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर हो जाती है, तो मकान में अनुनाद हो जाता है और मकान के कंपित होकर गिर जाने का खतरा उत्पन्न हो जाता है।
- जब हम किसी बस में यात्रा करते हैं, तो उसकी खिड़कियों तथा दरवाजे के झनझनाने की आवाजे आती रहती हैं। जब बस की चाल धीरे-धीरे बढ़ाई जाती है, तो बस की एक विशेष चाल पर झनझनाहट बहुत अधिक बढ जाती है। बस की चाल और अधिक हो जाने पर झनझनाहट पुन; धीमी पड़ जाती है। वास्तव मैं बस की चाल बढ़ने के साथ-साथ बस के इंजन की आवृत्ति भी बढ़ती है। जब इंजन की आवृत्ति खिड़कियों की आवृत्ति के बराबर हो जाती है, तो अनुनाद के कारण झनझनाहट बहुत अधिक बढ़ जाती है।
Please do not enter any spam link in the comment box.