भारत की भाषा, साहित्य एवं दर्शन || Language Literature and Philosophy in Hindi

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भारत की भाषा, साहित्य और दर्शन: एक सांस्कृतिक विरासत की झलक | UPSC हिंदी नोट्स
भाषा, साहित्य एवं दर्शन
भा(caps)षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत की धरोहर समृद्ध रही है। यहाँ अनेक भाषाओं एवं संबंधित साहित्य का विकास हुआ। प्राचीन भारत में बोली जाने वाली कुछ भाषाएँ, जिनका साहित्य बहुत ही समृद्ध था, लुप्त हो चुकी हैं, परंतु कुछ दूसरी भाषाओं का महत्त्व अभी भी बना हुआ। भारत में संस्कृत अब बोलचाल की भाषा नहीं रही है, परंतु वह अभी भी अनेक धार्मिक कार्यों तथा साहित्य की भाषा है। जो भाषाएँ वर्तमान में बोली जाती हैं, उन पर संस्कृत का प्रभाव पड़ा। वर्तमान की इन भाषाओं का विकास प्राचीनकाल के अंतिम भाग में आरंभ हुआ।

भारत के प्रमुख भाषा परिवार की सूची

भाषा परिवार प्रमुख भाषाएं बोलने वालों की संख्या
हिंद-आर्य भाषा परिवार हिन्दी, संस्कृत, उर्दू, मराठी, नेपाली, बांग्ला, गुजराती, कश्मीरी, राजस्थानी, पंजाबी, ओडिया, असामिया, डोगरी, मैथिली आदि। लगभग 76.87% लोग
द्रविड़ भाषा परिवार तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम आदि। लगभग 20.82%
ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार संथाली, गोंडी, उरांव, खोंड, मान-खमेर, हो, मुंडारी, खड़िया आदि। लगभग 1.11%
चीनी-तिब्बती भाषा परिवार नगा, मिज़ो, मणिपुरी, तमांग, दफला, लद्दाखी, चंबा, शेरपा, लाहूली, मिश्मी, बोडो इत्यादि। लगभग 1%
अण्डमानी भाषा परिवार ग्रेट अण्डमानी ओंग, जारवा आदि 1% से भी कम


भारत की प्रमुख भाषाएं

भारत सरकार ने संविधान की आठवीं अनुसूची में भारत की प्रमुख भाषाओं को राजभाषा के रूप में मान्यता प्रदान की है। आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाएँ निम्न प्रकार से हैं- असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगू, उर्दू, सिंधी, नेपाली, मणिपुरी, कोंकणी, बोडो, मैथिली, डोगरी, संथाली


संस्कृत

संस्कृत विश्व की सबसे पुरानी उल्लिखित भाषाओं में से एक है। यह हिंद-आर्य भाषा परिवार से संबंधित है। संस्कृत का संबंध अवेस्ता एवं पुरानी फारसी भाषा से भी माना गया है। वैदिक काल में रचित 'ऋग्वेद' को इस भाषा में रचित प्राचीनतम ग्रंथ माना जाता है। हिंदू धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथों की रचना संस्कृत भाषा में की गई है। संस्कृत भाषा की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत को देखते हुए भारत सरकार ने 2005 में इसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया। देवभाषा का दर्जा प्राप्त संस्कृत भाषा का पूरे भारतीय समाज के साथ सांस्कृतिक संबंध है। इतिहासकारों के अनुसार 1500 ई. पू. के आस-पास भारत आने वाले आर्य संस्कृत भाषी थे। भारत में संस्कृत भाषा में अनेक महान ग्रंथों की रचना हुई तथा यह रचना क्रम उतार-चढ़ाव के साथ निरंतर चलता रहा। वर्तमान समय में भाषा के रूप में संस्कृत का प्रयोग नगण्य हो गया है, परंतु साहित्य सृजन की भाषा के रूप में आज भी प्रचलित है।


हिन्दी

हिंदी' संज्ञा का प्रयोग हिंदी की भाषा के रूप में हुआ। 1424-25 ई. में शर्फ़ुद्दीन यजदी द्वारा लिखित 'जफरनामा' में हिंदी शब्द का पहली बार प्रयोग किया गया। हिंदी भारोपीय (भारतीय + यूरोपीय) भाषा परिवार की एक प्रमुख भाषा है। इसकी लिपि देवनागरी है। चंदबरदाई द्वारा रचित पृथ्वीराज रासो आरंभिक हिंदी का प्रथम महाकाव्य है, यह रासो साहित्य के अंतर्गत आता है। आधुनिक काल में भारतेंदु हरिश्चंद्र, मैथिलीशरण गुप्त, महावीर प्रसाद द्विवेदी, प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद ने अपनी रचनाओं द्वारा हिंदी भाषा साहित्य को समृद्ध बनाया।


तमिल

तमिल द्रविड़ भाषा परिवार में सम्मिलित एक प्रमुख भाषा है। संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल इस भाषा को 2004 में 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा प्रदान किया गया है। अति प्राचीन भाषा होते हुए भी यह लगभग 2500 वर्षों से वर्तमान समय तक जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रयुक्त हो रही है। इस भाषा के आरंभिक शिलालेख तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास के हैं। तमिल साहित्य की प्राचीन रचनाओं को संगम साहित्य के नाम से जाना जाता है। संगम साहित्य के अलावा इस भाषा में उपलब्ध अन्य महत्त्वपूर्ण साहित्यिक कृतियाँ हैं- तिरुक्कुरल, शिलप्पादिकारम् तथा मणिमेखलै। यह सभी प्रकार की द्रविड़ भाषाओं की जननी मानी जाती है। तमिल भाषा का प्राचीनतम ग्रंथ तोलकप्पियम माना जाता है, यह तमिल व्याकरण ग्रंथ है। पूर्व मध्य काल में तमिल साहित्य पर अलवार तथा नयनार भक्ति धारा का प्रभाव पड़ा। वैष्णव भक्ति पदों का संग्रह नल्लयिरा दिव्य प्रबंधम् तथा शैव कवियों की रचनाओं के संग्रह को तिरुमुराइ कहा जाता है।


तेलुगु

द्रविड़ भाषा परिवार में सम्मिलित तेलुगू आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की राजभाषा है। तेलुगू भाषा के कुछ शब्द पहली बार प्रथम शताब्दी में हाल द्वारा रचित 'गाथासप्तशती' में मिलते हैं। इस भाषा की प्राचीनता एवं समृद्ध साहित्यिक विरासत को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार ने इसे 2008 में शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया। नान्नया को तेलुगू का 'आदि कवि' कहा जाता है। तेलुगू की प्रथम रामायण गोना बुद्ध रेड्डी कृत रंगनाथ रामायण है। तेलुगू के प्रमुख कवियों में रंगनाथ, नान्नया, अथर्वन, मूलघोटक, बेधन्ना, भरन्ना, हुलक्की, भास्कर आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं।


कन्नड़

भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में सम्मिलित कन्नड़ भाषा द्रविड़ भाषा परिवार में सम्मिलित है। यह भाषा लगभग 2500 वर्षों से उपयोग में है। आरंभिक कन्नड़ भाषा का लिखित रूप 450 ई. में हेलेविड नामक स्थान से प्राप्त शिलालेख में मिला है। कन्नड़ भाषा में उपलब्ध सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ 'कविराजमार्ग' है। शास्त्रीय भाषा के लिये निर्धारित मानदंडों को पूरा करने के कारण 2008 में इसे तेलुगू भाषा के साथ ही शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया। कन्नड़ भाषा पर संस्कृत का प्रभाव अधिक दृष्टिगोचर होता है। कन्नड़ भाषा का प्रथम साहित्य नृपतंग (अमोघवर्ष) द्वारा रचित कविराजमार्ग को माना जाता है। 10वीं सदी के प्रमुख कन्नड़ कवि पम्पा, पोन्ना, रन्ना है, जिन्हें 'रत्नवय' (तीन रत्न) के नाम से जाना जाता था। 15वीं सदी में कुमार व्यास ने 'कन्नड़ भारत' नामक महाकाव्य लिखा। नरहरि जिसे 'कन्नड़ वाल्मीकि' भी कहा जाता है, उसने तोरखे रामायण लिखी। वर्ष 1850-1920 के सांस्कृतिक जागरण में बी, बम श्री कंठरया, के. वी. पुद्दपा, एम. गोविंद पाई आदि का नाम प्रमुख रूप से शामिल है।


ओडिया

भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित ओडिया भाषा भारत के ओडिशा प्रांत में बोली जाने वाली भाषा है। भाषा परिवार के दृष्टिकोण से ओडिया एक आर्य भाषा है तथा बांग्ला, नेपाली, असमिया एवं मैथिली से इसका निकट संबंध है। ओडिया भाषा के प्रथम महाकवि सरला दास थे। इन्होंने देवी दुर्गा की स्तुति हेतु 'चंडी पुराण' एवं 'बिलंका रामायण' की रचना की थी। 20 फरवरी, 2014 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ओडिया भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने संबंधी निर्णय के पश्चात् यह छठी ऐसी भाषा बन गई, जिसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है। ओडिया मुख्य रूप से ओडिशा में बोली जाने वाली भाषा है, इसे छठी शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। इसका उद्भव 9वीं शताब्दी में तथा 13वीं शताब्दी में साहित्यिक रूप में हुआ। 14वीं शताब्दी में सरलादास ने चंडीपुराण, विलंक रामायण, महाभारत इत्यादि ग्रंथों की रचना की। राधानाथ राय एक प्रसिद्ध ओडिया कवि हैं, जिनकी कृति 'महायात्रा' को ओडिया का प्रमुख काव्य माना जाता है।


मलयालम

द्रविड़ भाषा परिवार की एक प्रमुख भाषा मलयालम भाषा एवं लिपि के दृष्टिकोण से तमिल के काफी करीब है। 12वीं सदी में लिखित 'रामचरितम्' को मलयालम भाषा का आदिकाव्य माना जाता है। 2013 में इसे भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया। यह मुख्यतः केरल राज्य में बोली जाती है, आरंभिक काल में मलयालम में तीन मुख्य धाराएँ थीं- पच्च मलयालम या अतिमिश्रित धारा, तमिल धारा, संस्कृत धारा। केरल वर्मा ने सभी कक्षाओं के लिए मलयालम भाषा में पाठ्य-पुस्तकें तैयार कीं। अपनी रचनाओं द्वारा राजा राजा वर्मा ने मलयालम को अधिकृत व्याकरण केरल पाणिनियम दिया और मलयालम साहित्य में राष्ट्रवाद का समावेश किया।


भारत की प्रमुख लिपियाँ

भारत की प्रमुख लिपियाँ निम्नलिखित हैं-

  • ब्राह्मी लिपि यह लिपि भारत की प्राचीनतम पढ़ी जा सकने वाली लिपि है। सम्राट अशोक के अभिलेखों में इसका प्रयोग किया गया है। इस लिपि को सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने पढ़ा था। भारत की अधिकांश लिपियाँ (अरबी, फारसी के अतिरिक्त) ब्राह्मी लिपि से ही विकसित हुई हैं।
  • खरोष्ठी लिपि इसे बैक्ट्रियन तथा इंडो-बैक्ट्रियन आदि नामों से जाना जाता है। यह भी दाएँ से बाएँ लिखी जाती थी। इसकी उत्पत्ति अरमाइक लिपि से हुई है। इसका उपयोग प्राचीनकाल में पश्चिमोत्तर क्षेत्र में ईरानी शासन के दौरान होता था। सम्राट अशोक के शहबाजगढ़ी, मानसेहरा अभिलेख में इसका उपयोग हुआ है।
  • नागरी लिपि यह लिपि देवनागरी की पूर्ववर्ती लिपि है। इसमें शब्दों की लंबाई के बराबर ही मात्रा लगाई जाती है। यह लिपि 8वीं शताब्दी के आस-पास गुप्त लिपि के मध्य पूर्व प्रारूप के रूप में प्रचलित थी।
  • देवनागरी लिपि इस लिपि की उत्पत्ति की स्पष्ट जानकारी नहीं है। उत्तर भारत के अतिरिक्त इस लिपि का प्रचलन विजयनगर तथा पल्लव शासकों के काल में भी रहा। हिंदी, संस्कृत, मराठी, भोजपुरी, मैथिली, नेपाली, कोंकणी आदि भाषाएँ इसी लिपि में लिखी जाती हैं। सर्वप्रथम चंदेल शासकों के अभिलेखों में इसका प्रयोग हुआ है।
  • कुटिल लिपि इस लिपि में अक्षरों का लेखन अव्यवस्थित होता है। यह लिपि छठीं से नौवीं शताब्दी तक प्रचलन में रही। इसे न्यूनकोणीय तथा सिद्धमातृका लिपि भी कहा जाता है।
  • गुजराती लिपि यह देवनागरी से विकसित लिपि है। प्रारंभ में इस लिपि के अक्षरों के शीर्ष पर रेखाएँ होती थीं, किंतु अब नहीं दिखाई देती।
महत्वपूर्ण लिपियाँ
ब्राह्मी लिपि
  • प्राचीन भारत की सबसे प्रारंभिक लिपियों में से एक (लगभग 3री शताब्दी ईसा पूर्व)।
  • अशोक के शिलालेखों (जैसे- सारनाथ, गिरनार) में प्रयुक्त।
  • देवनागरी, तमिल, तेलुगु आदि भारतीय लिपियों की जननी मानी जाती है।
  • बाएँ से दाएँ लिखी जाती थी।
खरोष्ठी लिपि
  • दाएँ से बाएँ लिखी जाने वाली प्राचीन लिपि (मुख्यतः उत्तर-पश्चिम भारत और मध्य एशिया में)।
  • गांधार क्षेत्र में प्रचलित; अशोक के शिलालेखों (मनसेहरा, शाहबाजगढ़ी) में प्रयुक्त।
  • आरमेइक लिपि से विकसित मानी जाती है।
देवनागरी लिपि
  • संस्कृत, हिंदी, मराठी, नेपाली आदि भाषाओं की लिपि।
  • ब्राह्मी लिपि से विकसित (गुप्तकालीन लिपि से परिवर्तित)।
  • विशेषता: शीर्ष रेखा (हैडलाइन) और अक्षरों का व्यवस्थित रूप।
ग्रंथ लिपि
  • प्राचीन दक्षिण भारतीय लिपि; तमिल, मलयालम आदि की जननी।
  • पल्लव शासकों द्वारा प्रचारित (महाबलीपुरम के शिलालेख)।
शारदा लिपि
  • कश्मीर और उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में प्रयुक्त (8वीं-12वीं शताब्दी)।
  • डोगरा शासन तक आधिकारिक लिपि रही।
मोडी लिपि
  • मराठा प्रशासन में प्रयुक्त (17वीं शताब्दी)।
  • लिखने में तीव्र और संक्षिप्त; शिवाजी के दस्तावेजों में प्रयुक्त।
कुटिल/सिद्धमातृका लिपि
  • गुप्तकाल में विकसित लिपि, जिससे सिद्धम लिपि बनी।
  • बौद्ध ग्रंथों और संस्कृत लेखन में प्रयुक्त।
  • तिब्बती, जापानी और अन्य एशियाई लिपियों पर प्रभाव।
गुजराती लिपि
  • देवनागरी से विकसित, पर इसमें शीर्ष रेखा (हैडलाइन) नहीं होती।
  • मुख्यतः गुजराती भाषा को लिखने में प्रयुक्त।
  • 18वीं शताब्दी से व्यापारिक एवं प्रशासनिक लेखन में लोकप्रिय।

प्राचीन भारतीय साहित्य

प्राचीन भारतीय साहित्य विश्व की प्राचीनतम साहित्यिक परंपराओं में से एक है जिसमें वैदिक, बौद्ध, जैन, संस्कृत एवं तमिल भाषाओं में रचनाएँ सम्मिलित हैं। यह साहित्यिक विरासत धार्मिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक एवं साहित्यिक दृष्टि से अद्वितीय है।


वैदिक काल के दौरान भारतीय साहित्य (1500-600 BCE)

मुख्य रचनाएँ:
• वेद संहिताएँ (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद)
• ब्राह्मण ग्रंथ (शतपथ ब्राह्मण, ऐतरेय ब्राह्मण)
• आरण्यक एवं उपनिषद (छांदोग्य, बृहदारण्यक)
• वेदांग (शिक्षा, कल्प, व्याकरण)

UPSC के लिए महत्वपूर्ण:
✓ ऋग्वेद में सरस्वती नदी का उल्लेख
✓ अथर्ववेद में रोग निवारण के उपाय
✓ उपनिषदों में आत्मा-परमात्मा संबंध
✓ पाणिनि की अष्टाध्यायी (संस्कृत व्याकरण)


मौर्य काल के दौरान भारतीय साहित्य (322-185 BCE)

मुख्य रचनाएँ:
• अर्थशास्त्र (कौटिल्य/चाणक्य)
• बौद्ध साहित्य (दीपवंश, महावंश)
• अशोक के शिलालेख (ब्राह्मी व खरोष्ठी लिपि)
• जैन आगम साहित्य

UPSC के लिए महत्वपूर्ण:
✓ अर्थशास्त्र में राज्य प्रशासन के सिद्धांत
✓ अशोक के शिलालेखों में धम्म नीति
✓ महावंश में श्रीलंका का इतिहास
✓ मौर्यकालीन व्यापार का विवरण


गुप्त काल के दौरान भारतीय साहित्य (320-550 CE)

मुख्य रचनाएँ:
• कालिदास की रचनाएँ (अभिज्ञानशाकुंतलम्, मेघदूत)
• विष्णु शर्मा का पंचतंत्र
• वराहमिहिर का बृहत्संहिता
• पुराणों का संकलन (विष्णु पुराण, भागवत पुराण)

UPSC के लिए महत्वपूर्ण:
✓ संस्कृत साहित्य का स्वर्ण युग
✓ कालिदास द्वारा भारतीय नाट्यशास्त्र का विकास
✓ बृहत्संहिता में खगोल विज्ञान
✓ पुराणों में ऐतिहासिक वंशावलियाँ


मध्यकालीन भारतीय साहित्य (8वीं से 18वीं शताब्दी)

मध्यकालीन भारतीय साहित्य में संस्कृत, फारसी, अपभ्रंश एवं क्षेत्रीय भाषाओं का समन्वय दिखाई देता है। इस काल में भक्ति आंदोलन, सूफी प्रभाव और राजदरबारी संस्कृति ने साहित्य को नई दिशा दी।


सल्तनत काल का साहित्य (1206-1526 ई.)

प्रमुख रचनाएँ:
• अमीर खुसरो की रचनाएँ (खालिक बारी, नुह सिपिहर)
• जियाउद्दीन बरनी का तारीख-ए-फिरोजशाही
• मिनहाज-उस-सिराज का तबकात-ए-नासिरी
• संस्कृत में मेरुतुंगाचार्य का प्रबंधचिंतामणि

यूपीएससी हेतु महत्वपूर्ण:
✓ खुसरो को "भारत का तोता" कहा जाता था
✓ तारीख-ए-फिरोजशाही में खिलजी वंश का विवरण
✓ भक्ति साहित्य का उदय (ज्ञानेश्वरी - मराठी)
✓ सूफी साहित्य में चिश्ती संप्रदाय का योगदान


मुगल काल का साहित्य (1526-1857 ई.)

प्रमुख रचनाएँ:
• अकबरनामा (अबुल फजल)
• तुजुक-ए-जहांगीरी (जहांगीर की आत्मकथा)
• तुलसीदास की रामचरितमानस (अवधी)
• सूरदास की सूरसागर (ब्रजभाषा)

यूपीएससी हेतु महत्वपूर्ण:
✓ अकबरनामा में दीन-ए-इलाही का विवरण
✓ मुगल चित्रकला का साहित्यिक प्रभाव
✓ भक्ति-सूफी संवाद का प्रतिबिंब
✓ क्षेत्रीय भाषाओं का विकास (पंजाबी में गुरु ग्रंथ साहिब)


भक्ति आंदोलन का साहित्य

प्रमुख रचनाएँ:
• कबीर के दोहे (निर्गुण भक्ति)
• मीराबाई के पद (राजस्थानी)
• चैतन्य महाप्रभु की कीर्तन परंपरा (बंगाली)
• नामदेव की अभंग (मराठी)

यूपीएससी हेतु महत्वपूर्ण:
✓ सगुण-निर्गुण भक्ति का द्वंद्व
✓ जाति व्यवस्था की आलोचना
✓ लोकभाषाओं को प्रोत्साहन
✓ स्त्री साहित्यकार (मीरा, अक्कमहादेवी)


भारतीय दर्शन की षड्दर्शन परंपरा

भारतीय दर्शन के छः प्रमुख आस्तिक दर्शन (षड्दर्शन) वैदिक परंपरा से उत्पन्न हुए हैं। ये सभी दर्शन मोक्ष को अंतिम लक्ष्य मानते हैं, किंतु मार्ग भिन्न-भिन्न बताते हैं।


1. सांख्य दर्शन

संस्थापक: कपिल मुनि
मूल ग्रंथ: सांख्यकारिका (ईश्वर कृष्ण)
मुख्य सिद्धांत: - द्वैतवाद (पुरुष और प्रकृति) - पंचविंशति तत्त्वों का सिद्धांत - निरीश्वरवादी दर्शन
UPSC के लिए महत्व:
✓ भारतीय भौतिकी का आधार
✓ योग दर्शन का सैद्धांतिक आधार


2. योग दर्शन

संस्थापक: पतंजलि
मूल ग्रंथ: योगसूत्र
मुख्य सिद्धांत: - अष्टांग योग (यम-नियम आदि) - चित्तवृत्ति निरोध - समाधि द्वारा मोक्ष
UPSC के लिए महत्व:
✓ आधुनिक मनोविज्ञान से तुलना
✓ विश्व धरोहर में योग का समावेश


3. न्याय दर्शन

संस्थापक: गौतम (अक्षपाद)
मूल ग्रंथ: न्यायसूत्र
मुख्य सिद्धांत: - प्रमाणों का सिद्धांत (प्रत्यक्ष, अनुमान आदि) - षोडश पदार्थों का विवेचन - तर्कशास्त्र पर बल
UPSC के लिए महत्व:
✓ भारतीय तर्कशास्त्र का आधार
✓ बौद्ध दर्शन से संवाद


4. वैशेषिक दर्शन

संस्थापक: कणाद
मूल ग्रंथ: वैशेषिक सूत्र
मुख्य सिद्धांत: - परमाणुवाद (अणु सिद्धांत) - सप्त पदार्थों का विश्लेषण - न्याय दर्शन का पूरक
UPSC के लिए महत्व:
✓ प्राचीन भारतीय भौतिकी
✓ आधुनिक परमाणु सिद्धांत से समानता


5. मीमांसा दर्शन

संस्थापक: जैमिनी
मूल ग्रंथ: मीमांसासूत्र
मुख्य सिद्धांत: - वैदिक कर्मकांड का समर्थन - अपौरुषेय वेद की अवधारणा - धर्म का विश्लेषण
UPSC के लिए महत्व:
✓ वैदिक व्याख्या का आधार
✓ भारतीय न्यायशास्त्र पर प्रभाव


6. वेदान्त दर्शन

संस्थापक: बादरायण
मूल ग्रंथ: ब्रह्मसूत्र
मुख्य सिद्धांत: - ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या - अद्वैतवाद (शंकराचार्य) - विशिष्टाद्वैत (रामानुज)
UPSC के लिए महत्व:
✓ भारतीय आध्यात्मिकता का मूल
✓ भक्ति आंदोलन पर प्रभाव

दर्शन संस्थापक मूल ग्रंथ मुख्य सिद्धांत
सांख्य कपिल मुनि सांख्यकारिका पुरुष-प्रकृति द्वैत
योग पतंजलि योगसूत्र अष्टांग योग
न्याय गौतम न्यायसूत्र तर्कशास्त्र
वैशेषिक कणाद वैशेषिक सूत्र परमाणुवाद
मीमांसा जैमिनी मीमांसासूत्र कर्मकांड
वेदान्त बादरायण ब्रह्मसूत्र अद्वैतवाद

UPSC के लिए विशेष तथ्य:

  1. तुलनात्मक अध्ययन: सांख्य (निरीश्वरवाद) vs वेदान्त (ब्रह्मवाद)
  2. वैज्ञानिक दृष्टि: वैशेषिक का परमाणु सिद्धांत और न्याय का तर्कशास्त्र
  3. सामाजिक प्रभाव: योग दर्शन का आधुनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
  4. ऐतिहासिक विकास: शंकराचार्य द्वारा अद्वैत वेदान्त का प्रसार

इन दर्शनों ने न केवल भारतीय चिंतन परंपरा को आकार दिया बल्कि विश्व दर्शन को भी गहराई से प्रभावित किया। UPSC परीक्षा में इन दर्शनों के तुलनात्मक विश्लेषण, सामाजिक प्रभाव और समकालीन प्रासंगिकता से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।


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