विशेषण तथा विशेष्य का परिभाषा, प्रकार एवं अंतर

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जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते है, उन्हें विशेषण कहते है। तथा जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताई जाती है, उसे विशेष्य कहते है। 

उदाहरण के लिए - 'सफेद घोड़ा' में 'सफेद' विशेषण है जब कि 'घोड़ा' विशेष्य है।  

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विशेषण के भेद :

  • स्थान के आधार पर विशेषण के भेद (दो प्रकार के)
  • तुलना के आधार पर विशेषण के भेद (तीन प्रकार के)
  • प्रयोग के आधार पर विशेषण के भेद (चार प्रकार के)

स्थान के आधार पर विशेषण के भेद :

  1. उद्देश्य विशेषण
  2. विधेय विशेषण

1) उद्देश्य विशेषण :

  • विशेष्य से पहले लगने वाले विशेषण को 'उद्देश्य विशेषण' कहते है। 
  • उदाहरण के लिए - प्रत्यक्षा मीठे अंगूर पसंद करती है। इस वाक्य में 'अंगूर' वह संज्ञा है जिसकी विशेषता बताई जा रही है, इसलिए 'अंगूर' विशेष्य है वही 'मीठा' इसका विशेषण है।

2) विधेय विशेषण :

  • इस प्रकार के विशेषण, विशेष्य के बाद में आते है। इसमें विशेष्य से पहले सर्वनामिक विशेषण लगे होते है। 
  • उदाहरण के लिए - तुम्हारी बेटी नटखट है। इस वाक्य में 'बेटी' वह संज्ञा है जिसकी विशेषता बताई जा रही है, इसलिए 'बेटी' विशेष्य है तथा 'नटखट' इसका विशेषण है, वही 'तुम्हारी' सार्वनामिक विशेषण है।

तुलना के आधार पर विशेषण के भेद :

  1. मूलावस्था
  2. उत्तरावस्था
  3. उत्तमावस्था

1) मूलावस्था :

  • इस अवस्था में विशेषण अपनी मूल अवस्था में ही रहता है। इसमें कोई तुलना नहीं होती है।  
  • उदाहरण के लिए - गुलशन एक सज्जन व्यक्ति है।  इस वाक्य में शब्द 'सज्जन' विशेषण की मूलावस्था है। 

2) उत्तरावस्था :

  • इस अवस्था में दो वस्तुओं या व्यक्तियों की तुलना की जाती है। 'उत्तरावस्था' वाले कुछ विशेषण में 'तर' लगा होता है।
  • उदाहरण के लिए - अंकित मोहन से लंबा है। इस वाक्य में 'अंकित' और 'मोहन' की तुलना की जा रही है। इस वाक्य में विशेषण - 'लंबा' अपनी उत्तरावस्था में है।
  • अन्य उदाहरण के लिए - यह अक्षर दोनों अक्षरों में लघुत्तर है।  इस वाक्य में विशेषण - 'लघुत्तर' अपनी उत्तरावस्था में है।

3) उत्तमावस्था :

  • इस अवस्था में दो से अधिक वस्तुओं या व्यक्तियों की तुलना की जाती है। 'उत्तमावस्था' वाले कुछ विशेषण में 'तम' लगा होता है।
  • उदाहरण के लिए - उर्वशी सबसे मनमोहक नृत्य करती है। इस वाक्य में विशेषण - 'मनमोहक' अपनी उत्तमावस्था में है।
  • अन्य उदाहरण के लिए - 'भारत  दुर्दशा' भारतेन्दु हरिश्चंद्र का श्रेष्ठतम नाटक है। इस वाक्य में विशेषण - 'श्रेष्ठतम' अपनी उत्तमावस्था में है। 

मूलावस्था

उत्तरावस्था

उत्तमावस्था

अधिक

अधिकतर

अधिकतम

सुन्दर

सुन्दरतर

सुन्दरतम

उच्च

उच्चतर

उच्त्तम

प्रिय

प्रियतर

प्रियतम

निकृष्ट

निकृष्टतर

निकृष्टतम

महत्

महत्तर

महत्तम

लघु

लघुतर

लघुतम

कोमल

कोमलतर

कोमलतम

निम्र

निम्रतर

निम्रतम

श्रेष्ठ

श्रेष्ठत्तर

श्रेष्ठतम

प्रयोग के आधार पर विशेषण के भेद :

  1. गुणवाचक विशेषण
  2. संख्यावाचक विशेषण
  3. परिमाणवाचक विशेषण
  4. सार्वनामिक विशेषण

1) गुणवाचक विशेषण :

  • जो शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के आकार, रंग, गुण, दोष, स्वभाव, अवस्था, दशा, दिशा, स्थिति, गंध, स्वाद, स्पर्श इत्यादि का बोध कराते है, गुणवाचक विशेषण कहते है। 
  • उदाहरण के लिए - सोनू एक अच्छा गायक है। प्रस्तुत वाक्य में 'गायक' विशेष्य है तथा 'अच्छा' गुणवाचक विशेषण है। 
  • अन्य उदाहरण के लिए - रोहन एक भारतीय नागरिक है। प्रस्तुत वाक्य में 'नागरिक' विशेष्य है तथा 'भारतीय' गुणवाचक विशेषण है

2) संख्यावाचक विशेषण :

  • जो विशेषण अपने विशेषयों की निश्चित या अनिश्चित संख्या का बोध करते है, संख्यावाचक विशेषण कहलाते है। 
  • ये दो प्रकार के होते है - 'निश्चित संख्यावाचक' तथा 'अनिश्चित संख्यावाचक'
  • निश्चित संख्यावाचक : यह पाँच प्रकार के होते है- 'गणनावाचक' (एक, दो, तीन..आदि), 'क्रमवाचक' (पहला, दूसरा, तीसरा..आदि), 'आवृतिवाचक' (दुगुना, तिगुना, चौगुना..आदि), 'समुदायवाचक' (दोनों, तीनों, चारों..आदि), 'प्रत्येकबोधक' (प्रत्येक, हर एक..आदि)
  • उदाहरण के लिए - दो घोड़े मैदान में दौड़ रहे है। प्रस्तुत वाक्य में 'घोड़े' विशेष्य है तथा 'दो' गणनावाचक विशेषण है। 
  • अन्य उदाहरण के लिए - मयंक दौड़ में चौथे स्थान पर आया है। प्रस्तुत वाक्य में 'स्थान' विशेष्य है तथा 'चौथे' 'क्रमवाचक विशेषण' है। 
  • अनिश्चित संख्यावाचक : जिन विशेषणों से वस्तु की निश्चित संख्या का ज्ञान न हो, उन्हे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते है। जैसे - थोड़ा, कम, कुछ, अनेक, ज्यादा, .. इत्यादि। 
  • उदाहरण के लिए - आज बाजार में अधिक लोग है। प्रस्तुत वाक्य में 'लोग' विशेष्य है तथा 'अधिक' अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण है। 

3) परिमाणवाचक विशेषण :

  • जो विशेषण अपने विशेष्य की निश्चित या अनिश्चित मात्रा का बोध कराता है, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते है। यह दो प्रकार का होता है - 'निश्चित परिणामवाचक विशेषण' तथा 'अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण' । 
  • निश्चित परिमाणवाचक : दो किलो, 100 ग्राम, 10 लीटर, 50 मीटर इत्यादि। 
  • अनिश्चित परिमाणवाचक : ज्यादा, अधिक, थोड़ा, कुछ, कम, बहुत.. इत्यादि। 
  • उदाहरण के लिए - सोनू दुकान से पाँच किलों चीनी लाया है। प्रस्तुत वाक्य में 'चीनी' विशेष्य है तथा 'पाँच किलो' निश्चित परिमाणवाचक विशेषण है। 
  • अन्य उदाहरण के लिए - गंगा नदी में बहुत ज्यादा पानी है। प्रस्तुत वाक्य में 'पानी' विशेष्य है तथा 'ज्यादा' अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण है।

4) सार्वनामिक विशेषण :

  • इसे संकेतवाचक विशेषण या निर्देशवाचक विशेषण भी कहते है। 
  • जब कोई सर्वनाम (यौगिक अथवा मौलिक रूप में) किसी संज्ञा से पहले लगकर उसको निश्चित करते है या उसके क्षेत्र को सीमित करते है, तब उस सर्वनाम को सर्वनाम ना कहकर सार्वनामिक विशेषण कहते है। 
  • उदाहरण के लिए - यह लेख ज्ञानवर्धक है। प्रस्तुत वाक्य में 'यह' सार्वनामिक विशेषण है।

प्रविशेषण :

  • जो विशेषण शब्द विशेषण अथवा क्रियाविशेषण की ही विशेषता बताते है, उन्हे प्रविशेषण कहते है। 
  • उदाहरण के लिए - बीपुल बहुत ईमानदार लड़का है। प्रस्तुत वाक्य में 'लड़का' विशेष्य तथा 'ईमानदार' विशेषण तथा 'बहुत' प्रविशेषण है।

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